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तरावड़ी बासमती की खेती करें किसान, प्रति एकड़ 10 क्विंटल तक मिलेगी उपज

तरावड़ी बासमती की खेती करें किसान, प्रति एकड़ 10 क्विंटल तक मिलेगी उपज

तरावड़ी बासमती भी बासमती की एक अच्छी किस्म है जिसकी खेती करने की सिफारिश किसानों से की जाती है. यह बासमती की बेहतरीन किस्मों में से एक मानी जाती है. इसकी लंबाई 148 सेंटीमीटर तक होती है. यह इंडिका जाति किस्म का चावल है.

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तरावड़ी बासमती की खेती (सांकेतिक तस्वीर) तरावड़ी बासमती की खेती (सांकेतिक तस्वीर)

बासमती चावल अपनी सुगंध, गुण और स्वाद के लिए जाना जाता है. इसके गुणों के कारण बाजार में इसकी मांग भी अच्छी रहती है और किसानों को इसके दाम भी अच्छे मिलते हैं. भारत में बासमती का उत्पादन काफी मात्रा में होता है पर इसकी अधिकांश मात्रा निर्यात कर दी जाती है. इसकी कुछ बेहतरीन किस्में भी हैं जिसकी खेती की जाती है. हरियाणा में कुल चावल उत्पादन क्षेत्र में 55 फीसदी क्षेत्र में बासमती की खेती की जाती है. इसका अधिकांश उत्पादन उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में होता है. बासमती की खेती के लिए लंबे समय तक धूप की आवश्यकता होती है. इसकी खेती के लिए पर्याप्त पानी की भी जरूरत होती है. मौसम में नमी होने से इसकी खेती में फायदा होता है. अगर सही मौसम और तापमान मिलता है तो फसल पकने के बाद इसमें सभी खास गुण अच्छी तरह मौजूद रहते हैं. पर अगर दाना बनते वक्त तापमान अधिक होता है तो इसकी क्वालिटी पर असर पड़ता है. 

बासमती की अधिक पैदावार हासिल करने के लिए किसानों को बासमती की विशेष किस्मों की खेती करने की सलाह दी जाती है. तरावड़ी बासमती भी बासमती की एक अच्छी किस्म है जिसकी खेती करने की सिफारिश किसानों से की जाती है. यह बासमती की बेहतरीन किस्मों में से एक मानी जाती है. इसकी लंबाई 148 सेंटीमीटर तक होती है. यह इंडिका जाति किस्म का चावल है. इसकी खेती में अगर अधिक मात्रा में नाइट्रोजन दिया जाता है तो इसके पौधे गिर जाते हैं. इसलिए इसकी खेती में निर्धारित मात्रा में ही नाइट्रोजन का छिड़काव करना चाहिए. इसकी खेती को सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है. बीज की बुवाई के बाद इसके पकने तक यह 145-155 दिनों का समय लेती है. यह लंबी अवधि की खेती होती है. 

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तरावड़ी की पैदावार

तरावड़ी बासमती की खासियत यह होती है कि यह सफेद पीठ वाले तेले और तना गलन रोग के प्रति अवरोधी होती है. इस धान में तना गलना का रोग नहीं होता है. तरावड़ी बासमती के चावल का आकार लंबा होता है. इसकी लंबाई 7.1 मिमी होती है. इसके चावल पतले और सुगंधित होते हैं. यह पकने के बाद फटते नहीं हैं और बिना फटे ही सामान्य आकार से दोगुना अधिक लंबे हो जाते हैं. अगर इसकी औसत पैदावार की बात करें तो प्रति एकड़ किसान तरावड़ी बासमती से 10 क्विंटल तक पैदावार हासिल कर सकते हैं. 

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तरावड़ी की तरह होती है यह किस्म

इसके अलावा सीसआर 30 बासमती की एक अच्छी किस्म होती है. इसके पौधे का कद 133 सेंटीमीटर का होता है. इसकी खेती में भी रोशनी की जरूरत पड़ती है. बुवाई से लेकर कटाई तक इस किस्म को तैयार होने में 150-155 दिनों का समय लगता है. इसके चावल की लंबाई 6.6 मिमी से लेकर 7.5 मिमी तक होती है. इसके चावल उबालने पर बिना फटे की सामान्य आकार से दोगुना हो जाते हैं. यह फटते नहीं हैं और चिपकते नहीं हैं. इस चावल के पकाने और खाने के अन्य गुण तरावड़ी बासमती जैसे ही होते हैं. सीएनआर 30 बासमती की खेती में अगर अधिक खाद दी जाती है तो इसके पौधे अधिक लंबे होकर गिर जाते हैं. सामान्य जमीन में इसकी पैदावार 14 क्विंटल प्रति एकड़ होती है जबकि इसकी उत्पादन क्षमता 18 क्विटंल प्रति एकड़ है.