पटियाला में इस बार किसानों के बीच लोकसभा चुनाव का प्रचार करने जाने वाले उम्मीदवारों को किसानों के तीखे सवालों के जवाब का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि किसान इस बार सवाल पूछने वाले हैं. दरअसल पटिय़ाला जिले के सनौर प्रखंड में इस बार ब्लाइट रोग के कारण टमाटर की फसल को काफी नुकसान हुआ है. नुकसान हुए चार महीने से अधिक का समय बीत चुका है पर किसानों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है. इसके कारण किसानों ने योजना बनाई है कि इस बार लोकसभा चुनाव के दौरान जो भी उम्मीदवार उनके पास चुनाव प्रचार करने के लिए आएंगे उनसे को सवाल करेंगे.
किसानों का कहना है कि जिस वक्त ब्लाइट रोग के कारण उनके गांवों में फसलों के नुकसान हुआ था उस वक्त सरकार की तरफ से नुकसान का आकलन किया गया था पर आज तक किसानों को मुआवजा देने में सरकार विफल रही है. इतना ही नहीं किसानों का आरोप है कि जिन किसानों को बाढ़ और ओलावृष्टि के चलते फसलों को नुकसान हुआ है उन्हें भी अब तक राहत नहीं मिली है. इससे भी किसानों के अंदर नाराजगी है. टाइम्स ऑफ इंडियां की रिपोर्ट के मुताबिक बीकेयू (सिद्धूपुर) यूनियन के बूटा सिंह शादीपुर ने कहा कि जब राजनेता हमारे गांवों में चुनाव प्रचार के लिए आएंगे तो हम उनसे सवाल करेंगे और उन्हें हमारे सवालों का जवाब देना होगा.
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वहीं फ़तेहपुर राजपूतां गांव के किसान सुखदीप सिंह, हरपाल सिंह और हरजिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें प्रति एकड़ 1 से 1.5 लाख रुपये तक का नुकसान हुआ है. पर उन्हें आज तक मुआवजे का इंतजार है. किसान हरपाल सिंह ने कहा कि नुकसान होने के बाद राजस्व विभाग के अधिकारी आए थे और उन्होंने नुकसान का आकलन भी किया था. पर इसके बाद अब तीन महीने बीत चुके हैं पर प्रभावित किसानों को अब तक कोई मुआवजा नहीं मिला है. पटियाला के डिप्टी कमिश्नर शौकत अहमद पर्रे ने कहा कि वो किसानों के इस दावे की जांच को सत्यापन करेंगे.
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उल्लेखनीय है कि पटियाला जिला टमाटर की खेती के लिए मशहूर है. पटियाला जिले में लगभग 1,200 एकड़ में टमाटर की खेती की जाती है. जिले में सबसे अधिक टमाटर की खेती सनौर ब्लॉक में की जाती है. जबकि इस बार प्रखंड के असरपुर, फतहपुर राजपुतान, करतारपुर, नूर खेड़ियां, बोसर खुर्द, जोगीपुर और खुड्डा गांवों में झुलसा रोग के कारण 500 एकड़ से अधिक फसल को भारी नुकसान हुआ. इस रोग के फैलन के बाद इससे बचने के लिए किसानों ने क्षतिग्रस्त पौधों को उखाड़ कर बाहर फेंक दिया था पर इसके बाद भी किसानों को काफी नुकसान हो गया था.
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