पंजाब अमृतसर जिले के किसान अंग्रेज सिंह ने यह साबित कर दिया है कि अगर सही तरीके से मेहनत की जाए तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है. क्योंकि उन्होंने ऐसे दौर में सफलता हासिल की जब छोटे और सीमांत किसान संकटों से जूझ रहे हैं. इस दौर में अंग्रेज सिंह में मधुमक्खी पालन के जरिए अपने उद्यम कौशल से जबरदस्त सफलता हासिल की है और आज वो एक सफल शहद उत्पादक किसान हैं. उनके शहद का बाजार सिर्फ देश में ही नहीं विदेशों में भी है. 30 वर्षीय अंग्रेज सिंह अमृतसर के बाबा बकाला तहसील के सुदूर धरमू चक्क गांव में मधुमक्खी पालन करते हैं.
अंग्रेज सिंह के पिता कृषि विभाग के सेवानिवृत अधिकारी है. वर्ष 1992 में उन्हें अपने विभाग के कार्यक्रम के दौरान मधुमक्खी के चार बक्से मिले थे, जिससे उन्होंने छोटे पैमाने पर मुधुमक्खी पालन शुरू किया था. जबकि अंग्रेज सिंह ने इस क्षेत्र में अपनी पिता की विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए 2014 में अपनी पुश्तैनी एक एकड़ जमीन में मधुमक्खी पालन करने का फैसला किया. आज 10 साल बाद उनके पास 1000 बक्से हैं. इन बक्सों से निकला हुआ शहद संयुक्त राष्ट्र अमेरिका से लेकर सऊदी अरब अंतरराष्ट्रीय बाजारों में जाता है. अब अंग्रेज सिंह कहते हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि मधुमक्खी पालन का उनका जुनून उनकी आजीविका का जरिया बन जाएगा.
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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक वो बताते हैं कि जब उन्होंने 20 साल पहले मधुमक्खी पालन शुरू किया तब उन्हें मधुमक्खियों और शहद उत्पादन की प्रक्रिया से प्यार हो गया. साथ ही बताया कि उन्होंने पिछले साल सऊदी को 12 टन (12,000 किलोग्राम) शहद निर्यात किया और अमेरिका से भी इतनी ही मात्रा का ऑर्डर मिला और अब खेप निर्यात के लिए तैयार है. उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी भी आगे बढ़ने के लिए जल्दबाजी नहीं की. उन्होंने अपने बिजनेस का विस्तार धीरे-धीरे किया. जैसे जैसे कमाई बढ़ती गई, उन पैसों से वो अपने बक्से बढ़ाते गए. इस तरह से उन्होंने अपने उत्पादित शहद का एक ब्रांड स्थापित किया.
अंग्रेज सिंह का शहद न्यू गोल्डन पंजाब हनी के ब्रांड के नाम से बिकता है. उनका शहद सभी शहद सभी अंतरराष्ट्रीय शुद्धता मानकों को पूरा करता है क्योंकि "हमने गुरुग्राम स्थित एक कंपनी के माध्यम से जर्मनी से अपना शहद का परीक्षण करवाया है. उन्होंने कहा कि भारत में शहद की सभी प्रकार की शुद्धता जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं है. अंग्रेज सिंह बताते हैं कि हमें अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप शहद का उत्पादन करने पर गर्व है. उन्होंने कहा कि वास्तव में शहद दुनिया में सबसे अधिक मिलावटी खाद्य पदार्थों में से एक है. इसलिए आजकल बाजार में शुद्ध शहद मिलना बहुत मुश्किल है क्योंकि बड़े अंतरराष्ट्रीय ब्रांड मौजूद हैं और कई बड़ी कंपनियां सस्ते सिरप मिलाती हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने गांव में 90 टन सालाना क्षमता वाला शहद प्रसंस्करण संयंत्र भी स्थापित किया है.
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अंग्रेज बताते हैं कि उनके लिए यह सफलता हासिल करना इतना आसान नहीं था. स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना स्थित किसान प्रशिक्षण केंद्र खालसा कॉलेज अमृतसर और कृषि विज्ञान केंद्र, अमृतसर से मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया था. फिर उत्पादन तो शुरू किया लेकिन क्वालिटी सर्टिफिकेशन, ब्रांडिंग और सेल्फ मार्केटिंग की जानकारी नहीं होने के कारण को अपना शहद कम कीमत पर व्यापारियों को शहद बेचते थे. इसके बाद जब उन्हें मार्केटिंग के बारे में पूरी जानकारी मिली तब उन्होंने अपना एगमार्क प्रमाणित शहद ब्रांड न्यू गोल्डन पंजाब लॉन्च किया.
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