दुनिया भर में Carbon Emission को कम करने वाली महज 4 फीसदी नीतियां ही दिखा पाई अपना असर

दुनिया भर में Carbon Emission को कम करने वाली महज 4 फीसदी नीतियां ही दिखा पाई अपना असर

पूरी दुनिया में 21वीं सदी की शुरुआत के साथ ही औद्योगीकरण की सुनामी आने के बाद कार्बन उत्सर्जन के संकट ने धरती को घेर लिया. इसके साथ ही Global Warming जैसे पर्यावरण संकट गहरा गए. कार्बन उत्सर्जन को रोकने के लिए तमाम देशों ने लगभग 1500 नीतियां बनाई. मगर, इनमें से महज 4 फीसदी नीतियां ही बीते 25 सालों में अपना असर दिखा पाई.

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दुनिया भर में Carbon Emission को कम करने वाली महज 4 फीसदी नीतियां ही दिखा पाई अपना असरकोयला के बिजली घर बन रहे दुनिया भर में कार्बन उत्सर्जन न थमने की वजह (सांकेतिक तस्वीर)

धरती को कार्बन उत्सर्जन के कारण उपजे Environmental Crisis से बचाने के लिए दुनिया भर की सरकारों ने तमाम तरह की Climate Policies बना कर लागू की, मगर परिणाम सिफर ही रहा. वैश्विक स्तर पर कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए Developed and Developing Countries द्वारा लागू की गई नीतियों के असर पर शोध किए गए. एक प्रतिष्ठित International Journal में पिछले दिनों प्रकाशित हुई शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्बन उत्सर्जन पर काबू पाने में दुनिया भर की सरकारें लगभग नाकाम रही हैं. इस काम के लिए सरकारों द्वारा पिछले 25 सालों में लागू की गई लगभग 1500 नीतियों में से महज 4 फीसदी नीतियों से ही सार्थक परिणाम मिल सके हैं. शोध में पता चला है कि कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने से जुड़ी भारत की कोई भी नीति माकूल परिणाम नहीं दे पा रही है.

महज 65 नीतियां उतरीं उम्मीद पर खरी

जलवायु परिवर्तन पर शोध से जुड़े जर्मनी के दो संस्थानों की साझा रिपोर्ट में कहा गया है कि 1998 से 2022 के बीच दुनिया भर में कार्बन उत्सर्जन को काबू में करने के लिए तमाम देशों के द्वारा लगभग 1500 नीतियां बनाई गई. जर्मन शोध संस्थान Potsdam Institute for Climate Impact Research और Mercator Research Institute on Global Commons and Climate Change के वैज्ञानिकों ने इन नीतियों को लागू करने के बाद इनके परिणाम का विश्लेषण किया.

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इसमें कार्बन उत्सर्जन के सबसे बड़े चार स्रोतों की भूमिका का भी अध्ययन किया गया. इनमें वैश्विक स्तर पर शहरीकरण के फलस्वरूप इमारतों के रूप में पनप रहे कंक्रीट के जंगल से होने वाले कार्बन उत्सर्जन के अलावा बिजली निर्माण, उद्योग और वाहन जनित उत्सर्जन पर नियंत्रण के उपायों का अध्ययन किया गया है.

इसमें दावा किया गया है कि कार्बन उत्सर्जन रोकने के लिए नीति निर्धारण के स्तर पर किए गए उपायों की पहली बार इतनी सूक्ष्म समीक्षा की गई है. इसमें 6 महाद्वीपों के उन 41 देशों की 1500 नीतियों के असर का अध्ययन किया गया, जिनकी 2019 तक वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में 81 प्रतिशत तक भागीदारी दर्ज की गई थी.

कार्बन टैक्स बना कारगर उपाय

अध्ययन में पता चला है कि जिन देशों ने कार्बन उत्सर्जन को रोकने के लिए वाहन, बिल्डिंग, बिजली निर्माण और उद्योग जगत सहित अन्य क्षेत्रों में पर्याप्त कर लगाने की नीति को सख्ती से लागू किया, उन देशों में सार्थक परिणाम मिले. इसके अलावा कार्बन उत्सर्जन करने वाली गतिविधियों पर कार्बन के लिए सरकारों की तरफ से मिल रही सब्सिडी में कटौती करना भी कारगर उपाय साबित हुआ है.

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इसके साथ ही Energy Requirements को पूरा करने वाले उपक्रमों पर Energy Tax लगाने के उपाय भी इन नीतियों में शामिल किए गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन में कोयला आधारित तापीय बिजली परियोजनाओं (coal-fired power plants) को बंद करने और नार्वे में ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाली इंजन से युक्त कारों (combustion engine cars) को प्रतिबंधित करना प्रभावी उपाय साबित हुआ.

रिपोर्ट में कार्बन उत्सर्जन रोकने के बारे में लागू की गई भारत की नीतियों का कोई ठोस परिणाम नहीं मिलने की बात कही गई है. रिपोर्ट के अनुसार अध्ययन के दौरान भारत की ऐसी कोई सफल क्लाइमेट पॉलिसी नहीं मिली है, जिससे कार्बन उत्सर्जन को कम करने के तय लक्ष्य को पाने में मदद मिली हो.

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