Politics & Farmers : जयंत जल्द मिलेंगे पीएम से, मायावती ने भी किया विपक्षी गठबंधन से किनारा

Politics & Farmers : जयंत जल्द मिलेंगे पीएम से, मायावती ने भी किया विपक्षी गठबंधन से किनारा

जैसे जैसे Lok Sabha Election 2024 करीब आ रहा है, वैसे वैसे विरोधी दलों के लिए परेशानी बढ़ रही है. देश के तमाम क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय स्तर पर I.N.D.I.A. गठबंधन की कमान मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को सौंपने के लिए तैयार नहीं हैं. ऐसे में केंद्र की सरकार बनाने का रास्ता दिखाने वाले राज्य यूपी में विपक्षी गठबंधन की परेशानी का बढ़ना चिंता का सबब बन गया है.

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Politics & Farmers : जयंत जल्द मिलेंगे पीएम से, मायावती ने भी किया विपक्षी गठबंधन से किनारासपा रालोद गठबंधन पर सीटों के बंटवारे ने फंसाया पेंच

पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाले सत्तारूढ़ गठबंधन NDA के कुनबे में लगातार बढ़ोतरी हाे रही है. विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. से निराश होकर छिटकने वाले दलों की संख्या में दिनों दिन इजाफा हो रहा है. लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 सीटों वाले राज्य यूपी में I.N.D.I.A. गठबंधन का प्रमुख चेहरा बनने की कोशिश में लगी समाजवादी पार्टी में उपजे असंतोष के बाद BSP की अध्यक्ष मायावती ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी पूरे देश में अपने बलबूते ही चुनाव लड़ेगी. वहीं, सपा के साथी RLD का भी एनडीए में जाना तय हो गया है. रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी जल्द PM Modi से मुलाकात कर एनडीए के घटक दल बनने की औपचारिकता को पूरा कर देंगे.

किसान आंदोलन को दी थी मजबूती

हाल ही में मोदी सरकार ने किसानों के सर्वमान्य नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को 'भारत रत्न' देने की घोषणा की थी. इस फैसले के लिए रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने पीएम मोदी का आभार प्रकट किया था. जल्द ही जयंत पीएम मोदी से मिलकर चौधरी चरण सिंह को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के लिए चुने जाने पर सरकार का आभार व्यक्त करेंगे. माना जा रहा है कि इस दौरान ही रालोद के एनडीए में शामिल होने की भी औपचारिक घोषणा हो सकती है.

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भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत ने हालांकि कहा है कि जयंत चौधरी के पाला बदलने से किसानों के आंदोलन पर कोई असर न पड़े, इसके लिए ही उन्होंने किसानों से सिसौली पंचायत में आह्वान किया है कि वे राजनीतिक रूप से किसी भी विचारधारा वाले दल को वोट दें, लेकिन आंदोलन की मांग के साथ एकजुटता के साथ जुड़े रहें.

मायावती ने किया रुख साफ

इस बीच विपक्षी एकता पर सवालिया निशान छोड़ते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने भी I.N.D.I.A. गठबंधन के साथ चुनाव नहीं लड़ने की अपनी प्रतिबद्धता को एक बार फिर दोहरा दिया है. गौरतलब है कि कांग्रेस ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक यानी  PDA का राग अलापने के बाद मायावती को साधने की भरपूर पहल की. मगर मायावती ने आगामी लोकसभा चुनाव न केवल यूपी बल्कि अन्य राज्यों में भी अकेले ही लड़ने की घोषणा कर दी है. मतलब साफ है कि मायावती की 'एकला चलो' नीति का असर Opposition Alliance की भावी चुनावी रणनीति पर पड़ना तय है.

मायावती ने सोमवार को सोशल मीडिया पर जारी अपने संदेश में कहा कि "आगामी लोकसभा आम चुनाव, बसपा द्वारा किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करने की बार-बार स्पष्ट घोषणा के बावजूद आए दिन गठबंधन सम्बंधी अफवाह फैलाना यह साबित करता है कि बीएसपी के बिना कुछ पार्टियों की यहाँ सही से दाल गलने वाली नहीं है, जबकि बीएसपी को अपने लोगों का हित सर्वोपरि है."

इतना ही नहीं मायावती ने अपने समर्थकों को इस तरह की अफवाहों से बचने के लिए आगाह भी किया है. उन्होंने कहा कि "सर्व समाज के खासकर गरीबों, शोषितों एवं उपेक्षितों के हित व कल्याण के मद्देनजर बीएसपी का देश भर में अपने लोगों के तन, मन, धन के सहारे अकेले अपने बलबूते पर लोकसभा आम चुनाव लड़ने का फैसला अटल है। लोग अफवाहों से ज़रूर सावधान रहें."

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सपा खेमे में खलबली

यूपी में भाजपा ने लोकसभा की सभी 80 सीटें जीतने का भरोसा जताया है. विपक्षी खेमे की ओर से सपा ने भाजपा के इस भरोसे को पूरा नहीं होने देने का दावा किया है. सपा अध्यक्ष द्वारा जिस PDA के बलबूते भाजपा को चुनाव में रोकने का दावा किया जा रहा है, उसे झुठलाते हुए सपा के मजबूत सहयोगी दल एक एक कर सपा से किनारा कर रहे हैं.

जयंत चौधरी द्वारा एनडीए में जाने का स्पष्ट संकेत देने के बाद भाजपा से सपा में आए स्वामी प्रसाद मौर्य, अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल और पूर्व सांसद सलीम शेरवानी ने अखिलेश की पीडीए नीति पर सवाल उठा दिए हैं. इन नेताओं ने Rajya Sabha की 10 सीटों पर हो रहे चुनाव के टिकट वितरण में अखिलेश द्वारा पीडीए को नजरंदाज करने का खुला आरोप लगाया है.

गौरतलब है कि सपा ने इस चुनाव में Film Actress जया बच्चन और पूर्व नौकरशाह आलोक रंजन को उम्मीदवार बनाया है. इससे पार्टी के नेताओं में खासा असंतोष है. इसे देखते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता सलीम शेरवानी, स्वामी प्रसाद मौर्य और सपा के समर्थन से प्रयागराज की कौशांबी सीट से विधायक बनीं पल्लवी पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. ये नेता जल्द ही अपनी रणनीति को सार्वजनिक करेंगे.

समझा जाता है कि मौर्य 22 फरवरी तक अपनी नई पार्टी बना सकते हैं. वहीं शेरवानी ने भी दिल्ली में सम्मेलन कर कह दिया है कि मुसलमानों को अब सपा पर एतबार नहीं रहा. यूपी के मुसलमानों को अगले चुनाव के मद्देनजर सपा को छोड़ कर किसी अन्य विकल्प की तलाश है. इसमें भाजपा भी मुसलमानों के लिए एक विकल्प हो सकती है.

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