मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक ने भारत पर कई सालों तक अपनी हुकूमत जमाए रखी. भारत में ब्रिटिश शासन वर्ष 1858 में शुरू हुआ और 1947 तक चला. इससे पहले, 1757 से 1857 तक भारत ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के कंट्रोल में था. लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेजों की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली. इस आजादी को पाने के लिए भारत के वीरों ने न जाने कितनी कुर्बानियां दीं, तब जाकर 15 अगस्त 1947 को हमें अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली. ऐसे में यह दिन, यह तारीख भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए गौरव का दिन है. यही कारण है कि हम हमेशा इस दिन को गर्व और खुशी के साथ मनाते हैं.
ऐसे में इस साल भारत की आजादी का जश्न मनाने हर साल की तरह अलग-अलग देशों से लोग शामिल होने आ रहे हैं. खबरों के मुताबिक आजादी के इस जश्न में लगभग 1800 खास मेहमान शामिल होकर इस दिन को और भी अधिक यादगार बनाएंगे. खास बात यह है कि इस जश्न में इस बार जो 1800 खास मेहमान आएंगे उसमें कई किसान भी शामिल हैं. जानते हैं उनके नाम-
15 अगस्त को लाल किले की मंच से स्वतंत्रता दिवस पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी हर साल की तरह इस साल भी राष्ट्र को संबोधित करेंगे. इस संबोधन को सुनने और 15 अगस्त के जश्न को मनाने के लिए विशेष अतिथि के रूप में लगभग 1800 लोगों को आमंत्रित किया गया है. जिसमें किसान, नर्स, मछुआरे और गांवों के मुखिया शामिल होंगे.
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इस अवसर पर दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल की वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी निधि बेला को उनके परिवार के साथ समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है. आमंत्रित लोगों में विशेष अतिथियों में पश्चिमी भारत के महाराष्ट्र राज्य से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के दो लाभार्थी भी शामिल हैं. इतना ही नहीं 50 पीएम-किसान लाभार्थी और उनके परिवार भी इसमें शामिल हैं, जिन्हें लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन को देखने के लिए आमंत्रित किया गया है.
एक अन्य लाभार्थी, विजय गोटीराम ठाकरे, वैशाखरे, मुरबाड, ठाणे जिले के रहने वाले हैं, जो एक पारंपरिक रूप से धान की खेती करने वाले किसान और सब्जी उत्पादक हैं। साथ ही 2019 से पीएम-किसान के लाभार्थी हैं. इन्हें भी अपनी पत्नी के साथ दिल्ली की यात्रा करने और विशेष अतिथि के रूप में स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के अवसर मिला है. जिसकी गहराई से सराहना और खुशी इन्होंने जताई है. पूरे भारत में सभी पृष्ठभूमि यानी सभी क्षेत्रों के लोगों को आमंत्रित करने के समावेशी दृष्टिकोण को मोदी प्रशासन की 'जनभागीदारी' के रूप में पेश किया जा रहा है.
खेती के जरिए गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकलने वाले किसान गुंची लाल झा को मोदी सरकार ने इस साल स्वतंत्रता दिवस समारोह में अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है. झाँसी जिले के चिरगाँव तहसील के निवासी झा यह सम्मान पाने वाले क्षेत्र के पहले किसान हैं. देश भर में किसानों के लिए 10,000 एफपीओ बनाने की मोदी सरकार की योजना का लाभ उठाते हुए, झा ने केवल दो वर्षों में न केवल खुद को बल्कि 300 अन्य किसानों को गरीबी के जाल से बाहर लाने का काम किया है.
76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर के सीखड़ एफपीओ को भी आमंत्रित किया गया है. इस विशेष अवसर पर भाग लेने के लिए वे बेहद खुश हैं और सभी के साथ उन्होंने अपनी खुशी जाहीर की है.
किसी भी भारतीय के लिए ये किसी सपने से कम नहीं है जब देश की आजादी का जश्न मनाने के लिए उसे बुलाया गया हो. ऐसे में बारामती के ढेकलवाड़ी में 1.5 एकड़ भूमि पर खेती करने वाले 54 वर्षीय गन्ना किसान अशोक सुदाम घुले ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, "स्वतंत्रता दिवस पर नई दिल्ली में लाल किले का दौरा करने का अवसर एक सपने के सच होने जैसा है."
आजादी के इस जश्न को और दोगुना करने के लिए कई अन्नदाताओं को एक साथ आमंत्रित किया गया है.
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