एमएसपी गारंटी कानून समेत अन्य मांगों को लेकर किसानों का आंदोलन जारी है. हालांकि इस किसानों ने तीन मार्च तक रोकने का फैसला किया है. आज किसान आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे. इस बीच किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा है कि किसानों को दिल्ली जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने खुद दिल्ली और पंजाब हरियाणा सीमा के पास बैरिकेडिंग करके सकड़ों को अवरूद्ध कर दिया है. हमने सड़कें अवरुद्ध नहीं की हैं और देश के 140 करोड़ लोगों ने इसे देखा है. बता दें कि किसानों के प्रस्तावित दिल्ली मार्च को रोकने के लिए एहतियात पुलिस द्वारा बॉर्डर को सील किया गया था और सुरक्षा बढ़ा दी गई थी.
इससे पहले किसान नेता सरवन सिंह ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है. सरकार का ध्यान सिर्फ चुनाव जीतने पर है. उन्होंने कहा कि सरकार को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गांरटी देनी चाहिए और प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांगों पर पूरा ध्यान देना चाहिए. पर इसके बजाय सरकार इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रही है कि इस बार के चुनाव में जीत कैसे दर्ज की जाए. उन्होंने कहा कि किसानों का आंदोलन तब तक चलता रहेगा जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती है.
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इधर खबर यह भी मिल रही है कि SKM (संयुक्त किसान मोर्चा) ने शंभू बॉर्डर पर आंदोलनरत किसान संगठनों पर लगाए गंभीर आरोप लगाए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान नेताओं पर एसकेएम को तोड़ने की साजिश करने का आरोप लगाते हुए शंभू बॉर्डर पर आंदोलनरत किसान नेताओं सरवन पंढेर और जगजीत डल्लेवाल को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने कहा है कि एसकेएम को तोड़ने की कोशिश बंद की जाए. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की तरफ से किसान आंदोलन के मुद्दों के समाधान के लिए आठ बिंदुओं वाला एक समाधान प्रस्ताव संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) को सौंपा गया है। SKM की छह सदस्यों वाली कमेटी की तरफ से ये प्रस्ताव KMM (किसान मजदूर मोर्चा) के किसान नेताओं को सौंपा गया है.
इस प्रस्ताव को एक ऐसे दृष्टिकोण के तौर पर बताया जा रहा है जो संघर्ष का एक सही आधार और रास्ता मुहैया करवाने वाला है.कमेटी की तरफ से जिन 8 बिंदुओं को इसमें शामिल किया गया है वो साल 2020-2021 के दौरान हुए किसान प्रदर्शन के अहम तत्वों पर आधारित हैं. इन बिंदुओं में तालमेल पर आधारित संगठनिक ढांचा, संघर्ष की मांगों को ध्यान में रखना, केंद्र सरकार को संघर्ष का मुख्य निशाना बनाना, देशभर के किसानों विशेषकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की भागीदारी, दिल्ली कूच के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से रास्ता रोकने की तरकीबों का ठंडे दिमाग से समाधान निकालना, अनुशासन में रहकर प्रदर्शन को आगे बढ़ाना, साल 2021 में भड़काऊ शक्तियों की हुई हार के अलावा सफल एकजुट किसान संघर्ष का जिक्र किया गया है.
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किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले शुभकरण सिंह के 'भोग समारोह' के लिए पंजाब के बठिंडा के बलोह में तैयारी चल रही है. गौरतलब है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान खनौरी बॉर्डर पर युवा किसान शुभकरण सिंह की मौत हो गई थी. इसके बाद सात दिन तक उनका शव अस्पताल में रखा हुआ था. सात दिनों बाद उनके शव का पोस्टमॉर्टम किया गया और अंतिम संस्कार किया गया. किसानों की मांग के बाद पंजाब पुलिस की तरफ से युवा किसान की मौत को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है और पंजाब सरकार की तरफ से मृतक किसान के परिवार वालों को एक करोड़ रुपए का मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का एलान किया है.
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