देश के अन्य राज्यों की तरह यूपी और एमपी में भी कुछ इलाके किसानों की बदहाली के लिए कुख्यात हैं. इनमें बुंदेलखंड इलाके में बीते एक दशक में Water Crisis के कारण किसानों की हालत दयनीय हुई है. इसकी वजह से महाराष्ट्र के विदर्भ की तरह बुंदेलखंड भी Farmers suicide और पलायन के लिए बदनाम रहा है. इस मुद्दे पर सरकार और सियासत में चर्चा खूब होती है, लेकिन बुंदेलखंड के किसानों की कमजोर आवाज का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि Electoral Politics की हवा के रुख को इस इलाके के किसान अपने पक्ष में नहीं कर पाते हैं. पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक, हर चुनाव में बुंदेलखंड के किसानों के मुद्दे धर्म और जाति की जकड़न में उलझते नजर आते हैं.
प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होने के बाद भी बदहाली का शिकार रहा बुंदेलखंड का इलाका दो सूबों में बँटा है. इस इलाके की 4 लोकसभा सीट (झांसी-ललितपुर, बांदा-महोबा, हमीरपुर और जालौन-गरौठा) यूपी का हिस्सा हैं. वहीं, टीकमगढ़, खजुराहो, सागर और दमोह लोकसभा सीटें एमपी में हैं. ये सभी लोकसभा सीटें ग्रामीण बहुल होने के कारण इनमें किसान मतदाताओं की हिस्सेदारी 50 फीसदी से ज्यादा है. इसके बावजूद इन सीटों से न तो खांटी Farmers Leaders का अब तक कोई प्रतिनिधित्व उभर कर सामने आ पाया है, ना ही किसानों के मुद्दे चुनाव को प्रभावित करने का काम कर पाए हैं.
ये भी पढ़ें, System with Corruption : ठहरने लगी सिस्टम के आगे इस गांव के सपनों की उड़ान
बुंदेलखंड में यूपी हाे या एमपी, किसान हमेशा से खुद को कमजोर वर्ग के रूप में ही नेताओं के सामने खुद को पेश कर पाए हैं. इस इलाके में किसानों की दयनीय हालत पर सड़क से लेकर संसद तक, रोना धोना खूब हुआ, मगर इससे राजनेताओं को ही सियासी लाभ हुआ, किसानों के हिस्से सिर्फ मायूसी ही आई.
इस इलाके से भारी भरकम नाम वाले नेता भी सांसद बने. इनमें झांसी सीट पर कांग्रेस की सुशीला नैयर से लेकर भाजपा की उमा भारती, खजुराहो से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और टीकमगढ़ से केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक जैसे बड़े नाम शामिल हैं. इन इलाकों में विकास की धारा जरूर बही हो, लेकिन किसान और खेती आज भी पिछड़ेपन की शिकार है.
अपवाद के तौर पर इस स्थिति में मामूली बदलाव यूपीए 2 सरकार में देखने को मिला, जब झांसी से सांसद बनकर केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री बने प्रदीप जैन आदित्य ने बुंदेलखंड के किसानों को खेती की वैज्ञानिक पद्धतियों से अवगत कराने के लिए Central agriculture University स्थापित कराया. आज यह संस्थान समूचे बुंदेलखंड इलाके में किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है.
पिछले एक दशक से सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड में किसानों के लिए सबसे बड़ा संकट सिंचाई का है. इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि माताटीला सहित आठ बड़े बांधों से घिरे इस इलाके में नहरों का जाल होने के बाद भी किसान सिंचाई के साधनों से महरूम रहे. बुंदेलखंड में अनुपजाऊ जमीन की अधिकता किसानों के लिए 'कोढ़ में खाज' के समान साबित होती है.
एक हकीकत यह भी है कि इस इलाके के किसानों की दुश्वारियां 1990 के दशक में हरित क्रांति के सपने की खुमारी उतरने के साथ ही शुरू हुईं. तब से लेकर अब तक, यह इलाका खनन के कारोबार से राजनीति करने वाले कथित नेताओं की अदूरदर्शिता का दंश झेलने को अभिशप्त है. मौजूदा दौर की अगर बात करें तो 2014 के बाद सड़क और उद्योग का तंत्र विकसित करने का काम जरूर शुरू हुआ है, मगर विकास की यह धारा अभी गांव, गरीब और किसानों से दूर ही है.
इससे पहले 21वीं सदी के शुरुआती दशक में भी बुंदेलखंड के किसानों को देश के अन्य इलाकों से उलट, उम्मीद के सिवाय कुछ हाथ नहीं आया. झांसी से सपा के टिकट पर 2004 में सांसद चुने गए चंद्रपाल सिंह यादव कृभको के अध्यक्ष होने के बावजूद बुंदेलखंड की अनुपजाऊ जमीन पर किसानों की उपज बढ़ाने में मददगार साबित नहीं हो सके.
ये भी पढ़ें, Success Story: इस जल योद्धा के चलते खेती में आई बड़ी क्रांति, बुंदेलखंड की सुधर गई पहचान
इस चुनाव में भी किसानों के मुद्दों के लिहाज से कमोबेश स्थिति जस की तस है. पूरे इलाके में किसान समुदाय जातियों में बंटा है. हमेशा इस स्थिति का फायदा उठाते रहे क्षेत्रीय दलों को इस बार भी भरोसा है कि पीएम मोदी द्वारा बताई गई चार जातियों में से एक किसान जाति काे, यह बात अपने हित में होने के बावजूद समझ में नहीं आएगी.
इस चुनाव की बिसात पर बुंदेलखंड की ताजा तस्वीर देखें तो इस इलाके में चुनावी जंग 3 चरण में पूरी होगी. बुंदेलखंड में यूपी की चारों सीट पर पांचवें चरण में 20 मई को मतदान है. वहीं एमपी में बुंदेलखंड की टीकमगढ़, दमोह और खजुराहो सीट पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को तथा सागर सीट पर तीसरे चरण में 7 मई को मतदान होगा.
इन सीटों पर प्रमुख उम्मीदवारों की अगर बात की जाए तो झांसी में भाजपा ने मौजूदा सांसद अनुराग शर्मा को और कांग्रेस ने पूर्व सांसद प्रदीप जैन आदित्य को उम्मीदवार बनाया है. मुख्य मुकाबला भी इन्ही दोनों के बीच है. जबकि खजुराहो में भाजपा ने मौजूदा सांसद वीडी शर्मा तथा टीकमगढ़ में केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस के साथ गठबंधन के तहत सपा को खजुराहो सीट मिली है और चर्चा है कि सपा इस सीट पर वीडी शर्मा को चुनौती देने के लिए सिने स्टार अभिषेक बच्चन को उतार सकती है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today