गोवा में भी सफलतापूर्वक सेब की खेती की जा सकती है. गोवा की जलवायु में एक कंप्यूटर इंजीनियर ने सफलतापूर्वक सेब की खेती करके यह साबित कर दिया है कि अंसभव कुछ नहीं होता है. जर्मनी से वापस लौटने के बाद एडवर्ड मेंडिस गोवा में विदेशी फलों और सब्जियों के वितरक का काम कर रहे थे. वो पुणे स्थित एक कंपनी के लिए गोवा से विदेशी फल और सब्जियों के एकमात्र वितरक थे. इसके बाद उन्होंने खेती करने के बारे में सोचा और लीज पर जमीन लेकर सेब की खेती शुरू की. उन्होंने 200 से अधिक सेब के पेड़ लगाए. आज उनका यह बागान शायद गोवा का सबसे बड़ा सेब बागान है.
एडवर्ड मेंडिस का बचपन खेती किसानी के बीच बीता. वे 10 साल की उम्र में अपनी दादी को मिर्च, बींस, शलजम और प्याज की खेती करते हुए देखते थे. फिर बड़े होकर नौकरी की. इसके बाद उन्होंने बड़े होटलों में विदेशी फल और सब्जियों की सप्लाई का काम शुरू किया. इसके साथ ही मेंडेस ने हाइड्रोपोनिक्स, एक्वापोनिक्स और एकीकृत कृषि प्रणाली करने की शुरुआत की. फिर मेंडेस ने सेब की खेती करने का प्लान बनाया. मेंडेस बताते हैं कि उन्होंने बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश के हरिमन शर्मा से सेब टिशू कल्चर की तीन किस्में खरीदीं. हरिमण शर्मा यह रूट स्टॉक इजरायल से लाए थे और सेब के पौधे लगाए थे.
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सेब के इन पौधौं की खासियत यह है कि ये पौधे 45 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में भी विकसित हो सकते हैं. इसलिए इनकी खेती गोवा या भारत में कहीं भी की जा सकती है. मेंडेस ने 10 जनवरी, 2022 को सेब का टिश्यू कल्चर लगाया. इसके बाद जब पौधे आठ महीने के हो गए तब उन्होंने एचआरएमएन 99, अन्ना और गोल्डन डिलीशियस किस्म के पौधे लगाए. फिर लीज में ली गई जमीन पर 200 पौधे लगाए. साथ ही अपने घर के सामने बाल्टियों में कुछ पौधे उगाए. हालांकि पहले वर्ष में ही फल प्राप्त हुए पर जड़ें उतनी मजबूत नहीं हुई थीं. इसलिए उन्होंने फल नहीं लिया. फिर दूसरे वर्ष बारिश के कारण फूल झड़ गए, तीसरे साल 35 पौधे मर गए. पर अब फिलहाल 40 से अधिक पौधे हैं जो फल दे रहे हैं.
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गोवा की एक वेबसाइट को मेंडेस ने बताया कि उनके बागान में जो सेब हैं, वो जून में तैयार हो जाएंगे. इस सेब को वे अपने दोस्तों और कृषि विभाग और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को देंगे. वह अपने बागान से अगले वर्ष सेबों को बेचने की योजना बना रहे हैं. हालांकि गोवा में सेब उगाने वाले मेंडेस पहले व्यक्ति नहीं हैं. इससे पहले नेत्रावली में आईसीएआर ने सेब के पौधे लगाए थे. पर उसमें फल आए या नहीं इस बात की जानकारी नहीं है.
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