अंग्रेजी हुकूमत के समय से आपने एक सजा के बारे में सुना होगा या कुछ लोगों ने इस सजा को भुगता भी होगा. उस सजा का नाम था "काला पानी" जो दुनिया की सबसे दुखदाई और कड़ी सजा के रूप में जानी जाती थी. ऐसी ही कालापानी की सजा पूर्वी चंपारण का इकलौता सुगौली चीनी मिल दे रहा है. जी हां, मोतिहारी के सुगौली स्थित चीनी मिल लोगों को काला पानी की सजा दे रही है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.
दरअसल, सुगौली चीनी मिल के द्वारा छोड़े गए जहरीले पानी ने यहां से निकलने वाली सिकरहना नदी को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. आलम ये है कि इस कचरे ने नदी का अस्तित्व खतरे में तो डाला ही है. साथ ही यहां के जलीय जीव, जानवरों और आम इंसानों की जिंदगी को तबाह कर दिया है. चीनी मिल से निकला यह कचरा प्रत्येक साल किसानों का लाखों लाख रुपये की फसल का नुकसान कर रहा है. इसके अलावा पर्यावरण के लिए अनुकूल जीव जंतुओं की जीवन लीला खत्म कर रहा है. यहीं नहीं, जहरीले पानी को छूते ही जानवरों को सड़न जैसी बीमारी शुरू हो जाती है.
गांव के एक समाजसेवी बिट्टू यादव ने बताया कि सुगौली चीनी मिल की मनमानी के चलते निकलने वाला जहरीला और दूषित पानी लगभग 2 किमी दूर नाले के जरिए गिराया जाता है. दरअसल, यह नाला सुगौली नगर के कई इलाकों से होते हुए सिकरहना नदी में मिलाया जाता है.
चीनी मिल से निकलने वाला जहरीला दूषित पानी आसपास के दर्जनों गांवों के लिए जीवनदायिनी साबित होने वाली सिकरहना नदी को प्रदूषित कर दिया है और इस नदी को कालापानी की सजा दे रही है. यही नहीं, चीनी मिल से निकलने वाले जहरीले पानी से जानवर और मछली तो बीमार पड़ ही रहे हैं. साथ ही इसका असर अब इंसानों की जिंदगी पर भी पड़ रहा है.
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सुगौली चीनी मिल के जहरीले पानी की वजह से पेड़, गन्ने की फसल भी तेजी से सूख रही है. इस दौरान खतरनाक और जहरीला पानी बेहतर जलवायु को लगातार नष्ट कर रहा है. जहरीले पानी ने सुगौली नगर पंचायत सहित दर्जनों गांव की मिट्टी और पानी को जहरीला बना दिया है.
स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि इस पानी से जानवरों सहित इंसानों में त्वचा सहित दमा, आंख में जलन, आंख की रोशनी कम होने जैसी खतरनाक बीमारियां पैदा हो रही हैं. ग्रामीण ने बताया कि चीनी मिल के नाले से निकल रहे जहरीले काले पानी की दुर्गंध से इंसान मिनट भर भी वहां खड़ा नहीं हो पाता है. इस जहरीले पानी का अंश उपजाऊ भूमि, पेड़ पौधे, जीव जंतु, जानवर सहित इंसानों की तबाही जैसा है.
इसी गांव के एक ग्रामीण ने बताया कि इतनी हालत खराब होने के बाद भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह सब दिखाई नहीं दे रहा. वहीं, सुगौली चीनी मिल का प्रबंधन अपने रसूख के चलते इंसानों की जिंदगी और पर्यावरण से लगातार खिलवाड़ कर रहे हैं. लेकिन इन सबको देखने वाला कोई नहीं है. इस दौरान स्थानीय गांव वालों का कहना है कि चीनी मिल के जहरीले पानी की वजह से इंसानों की जिंदगी नरक जैसी हो गई है.
किसानों की मानें तो इससे पहले नदी का पानी जानवरों को नहलाने, खेतों की सिंचाई सहित कई कामों में काम आता था. लेकिन अब इस पानी का अंश जहां भी गिरता है, वहां की मिट्टी, पेड़ सहित सब कुछ नष्ट हो जाता है. इस मामले को लेकर ग्रामीणों की ओर से कई बार शिकायत भी की गई, लेकिन आज तक चीनी मिल के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया. फिलहाल इस चीनी मिल ने दर्जनों गांव के लोगों के जीवन में जहर घोल दिया है. वहीं सुगौली चीनी मिल ने कागजों में प्रदूषण बोर्ड से जीरो डिस्चार्ज सर्टिफिकेट लिया है, लेकिन प्रदूषण बोर्ड के नियमों को ताक पर रखकर जीवन दायिनी नदी में जहरीला पानी गिराकर नदी को जहरीला बना दिया है.
वहीं इस मामले को लेकर जब मोतिहारी सदर एसडीओ श्वेता भारती से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामले की जानकारी ली जा रही है, जल्द इन सभी समस्याओं का निपटारा कर दिया जाएगा. (सचिन पांडेय की रिपोर्ट)
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