गायों की अनूठी दुनिया है मथुरा का श्रीमाता गौशाला, जानें सबकुछ

गायों की अनूठी दुनिया है मथुरा का श्रीमाता गौशाला, जानें सबकुछ

रमेश बाबा की गौशाला में 300 कर्मचारियों के अलावा 55 ट्रैक्टर, 5 जेसीबी, 8 से 10 मिक्सचर समेत कई वाहन लगे हुए हैं. यहां पर जेसीबी मशीनों से गाय का गोबर और चारा उठाया जाता है. दर्जनों ट्रैक्टर से गायों को चारा डाला जाता है. रमेश बाबा कहते हैं कि अब इस गौशाला में एक लाख गायों की सेवा करने का लक्ष्य है.

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गायों की अनूठी दुनिया है मथुरा का श्रीमाता गौशाला, जानें सबकुछरमेश बाबा की श्रीमाताजी गौशाला, मथुरा.

जब गौशाला की शुरुआत हुई थी तो पदमश्री रमेश बाबा खुद अपने हाथों से 5 गायों की सेवा किया करते थे. आज इस गौशाला में रहने वाली गायों की संख्या, उनकी सेवा में लगे डॉक्टर, टेक्नीशियन, मशीन-वाहनों का बेड़ा और कर्मचारियों की लम्बी-चौड़ी फौज का आंकड़ा किसी को भी चौंका सकता है. आज पूरे दिनभर चलने के बावजूद गौशाला का एक चक्कर लगा पाना भी मुश्किल है. बरसाना, मथुरा की इस श्रीमाता गौशाला में चार वार्ड वाला एक अस्पताल भी है, जिसमे दो ऑपरेशन थिएटर बनाए गए हैं. 

यह गौशाला 275 एकड़ एरिया में फैली हुई है. 7 जुलाई 2007 को 5 गायों से इस गौशाला की शुरुआत हुई थी. उस वक्त ऐसा कोई लक्ष्य नहीं रखा था कि इसे बड़ी गौशाला बनाएंगे. आज लक्ष्य यह है कि इस गौशाला में एक लाख गायों की सेवा की जाए. बाकी तो हर एक गाय के लिए इस गौशाला के दरवाजे खुले हैं. 

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55 ट्रैक्टर और 5 जेसीबी दौड़ती हैं गौशाला में 

रात के कुछ घंटों को छोड़ दें तो गौशाला में 55 ट्रैक्टर और पांच जेसीबी लगातार दौड़ती रहती हैं. कभी ट्रैक्टर से भूसा और हरा चारा एक शेड से दूसरे शेड में ले जाया जाता है तो कभी ट्रैक्टर चारा मिक्सचर मशीन को गायों के शेड तक ले जाते हैं. यहां पर मिक्सचर से तैयार हुआ चारा गायों के सामने डाला जाता है. पांच जेसीबी भी लगातार गौशाल के काम को निपटाती हैं. कभी गायों के शेड से गोबर जमा करती हैं तो कभी भूसा ट्रैक्टर में लोड करती हैं. इसके अलावा सूखा दाना एक शेड से मिक्सचर प्लांट तक भी ले जाया जाता है. 

300 कर्मचारी गौशाला में दिन-रात करते हैं काम

गौशाला के सेवादार ब्रजेन्द्र  शर्मा ने किसान तक को बताया कि गौशाला में इस वक्त  300 से ज्यादा ही कर्मचारी काम कर रहे हैं. कोई वाहनों को चला रहा है तो कोई गायों को एक जगह से दूसरी जगह लाने-ले जाने का काम करता है. कोई गायों के शेड की सफाई करता है. किसी की डयूटी कुछ गायों का दूध निकालने की है. हर किसी का काम बंटा हुआ है. ज्यादातर कर्मचारी रहते भी गौशाला में ही हैं.

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एक्सरे-अल्ट्रा साउंड सेंटर समेत सब कुछ है यहां गायों के लिए 

सेवादार ब्रजेन्द्र शर्मा का कहना है कि जिस तरह का अब गायों के साथ व्यवहार किया जा रहा है तो उसे देखते हुए गौशाला में बड़ा अस्पताल बनाया गया है. अस्पताल में गाइनी, सर्जिकल और मेडिसिन समेत बछड़ा वार्ड बनाया गया है. ओपीडी और ऑपरेशन थिएटर भी है. सभी तरह की लैब, एक्सरे-अल्ट्रा साउंड सेंटर भी बनाए गए हैं.

इसे चलाने के लिए टेक्निशियन की एक लम्बी-चौड़ी टीम है. वार्ड के हिसाब से स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं. पैरा मेडिकल स्टाफ है. उन्हें सहयोग देने के लिए 30 लोगों की टीम लगाई गई है. इसके साथ ही डॉक्टर, पैरा मेडिकल स्टाफ समेत फील्ड यूनिट भी है. यह यूनिट स्पॉट पर जाकर गायों का इलाज करती है. गौशाला में 60 हजार से ज्या‍दा गाय हैं. सभी को अस्पताल में लाना मुमकिन नहीं है.    
   

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