केरल का चावल चोर हाथी अरिकोंबन आजकल फिर सुर्खियों में है. इसकी वजह है इस हाथी का चावल प्रेम. आम जानकारी के अनुसार भारी-भरकम दिखने वाला हाथी पत्ते, टहनियां, छाल, जड़, फल, फूल खाते हैं. मगर अरिकोंबन हाथी को चावलों से इतना प्यार है कि इसे खाने के लिए वह ना घर देखता है ना दुकान और सीधे घुस जाता है. इसी वजह से बीते कई दिनों से केरल के कई इलाकों में जान-माल का भारी नुकसान भी हुआ है. तो अब 'हाथी राजा बहुत बड़े, सूंड हिलाकर कहां चले, हमारे घर भी आओ ना...' वाली बचपन की इस कविता कविता को भूलकर पढ़िए उत्पात मचा रहे अरिकोंबन हाथी की कहानी-
अरिकोंबन हाथी मूल रूप से केरल से है. बीते कई दिनों से लगातार केरल के अलग-अलग हिस्सों में इस हाथी के चावल खाने के लिए दुकान और घरों में घुस जाने की खबरें सामने आ रही हैं. बीते दिनों जब इस हाथी ने केरल के इडुक्की जिले के कुछ इलाकों में चावल खाने के लिए तोड़-फोड़ मचाई तो ये हाथी देश भर में चर्चा में आ गया. ताजा मामला तमिलनाडु का है. बीते कुछ समय से यह हाथी तमिलनाडु के थेनी जिले के कुंबुम कस्बे में उत्पात मचा रहा है. शनिवार को इस हाथी ने एक स्थानीय व्यक्ति को घायल कर दिया. कई गाड़ियों को तोड़ दिया. ऐसे में अब लोगों को सावधान रहने को कहा गया है. अब जान लीजिए इस हाथी के अब तक के कारनामे..
केरल में जब इस हाथी की चावल चोरी के लिए तोड़फोड़ और उत्पात की घटनाएं बढ़ीं तो कोर्ट को भी इस मामले में दखल देना पड़ा. पिछले महीने कोर्ट के आदेश के बाद अरिकोंबन हाथी को पेरियार टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया था. इसमें 150 से ज्यादा अधिकारी और चार कुमकी हाथी (दुष्ट हाथियों के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने वाले पालतू हाथी) शामिल थे. 29 अप्रैल की शाम तक, अरिकोंबन को पकड़ लिया गया था और एक लॉरी में 29 अप्रैल को पेरियार टाइगर रिजर्व छोड़ दिया गया था. मगर कुंबुम के स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, चार दिनों में लगभग 40 किमी की यात्रा करके, 4 मई को सुबह करीब 4 बजे अरिकोंबन हाथी कुंबुम पहुंच गया था. तब से, हाथी लगातार केरल और तमिलनाडु के वन क्षेत्रों में घूम रहा है.
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राज्य के वन विभाग द्वारा जारी हाई अलर्ट और जिला प्रशासन द्वारा बरती जाने वाली विभिन्न सावधानियों के बीच, मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने अधिकारियों को हाथी को शांत करने के लिए तत्काल उपाय करने और कुमकी हाथियों की मदद से इसे वन क्षेत्र में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है. स्टालिन ने जिला प्रशासन और वन अधिकारियों से लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने को कहा है.
अगर अब आप ये भी सोच रहे हैं कि इस हाथी का नाम अरिकोंबन क्यों है तो बता दें कि इसके नाम का कनेक्शन भी इसके काम से ही है. जैसा कि चावल की दुकानों में घुसकर तोड़फोड़ करता है तो इसका नाम भी अरिकोंबन ही रख दिया गया है.इसका मतलब होता है 'राइस टस्कर' यानी राशन की दुकानों पर बार-बार छापे मारना.
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