दिवाली से पहले आम जनता के लिए बड़ी खुशखबरी है. कहा जा रहा है कि अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई दर 5 प्रतिशत से भी नीचे आ सकती है. इससे खाने- पीने की चीजों की कीमत में गिरावट आने की संभावना बढ़ गई है. अगर ऐसा होता है कि केंद्र सरकार के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि होगी, क्योंकि बीते जुलाई महीने खुदरा महंगाई 7.44 प्रतिशत के साथ 15 महीने के शिखर पर पहुंच गई थी. इस दौरान खाने- पीने की चीजें बहुत महंगी हो गई थीं. टमाटर 250 से 350 रुपये किलो बिकने लगा था. ऐसे में महंगाई पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार को खुद कम रेट पर टमाटर बेचना पड़ा. हालांकि, अगस्त में खुदरा महंगाई 6.83 फीसदी पर आ गई थी, जबकि सितंबर आते- आते खुदरा महंगाई दर घट कर 5.02 प्रतिशत पर पहुंच गई.
दरअसल, न्यूज वेबसाइट मिंट ने अपने सर्वे के हवाले से कहा है कि अक्टूबर महीने में रिटेल इन्फ्लेशन रेट 4.8 फीसदी पर पहुंच सकता है. खास बात यह है कि सर्वे में शामिल 17 अर्थशास्त्रियों ने अक्टूबर महाने की महंगाई दर को लेकर ये आकड़े रहने की संभावना जताई है. इन र्थशास्त्रियों ने सर्वे में कहा है कि खुदरा महंगाई में गिरावट की असील वजह खाद्य पदार्थों की कीमत में नरमी आना है. हालांकि, खुदरा महंगाई के आधिकारिक आंकड़े अगले सप्ताह की शुरुआत में आने की उम्मीद है.
अर्थशास्त्रियों की माने तो टमाटर की कीमतों में गिरावट से खुदरा महंगाई पर बहुत बड़ा असर पड़ा है. इसके चलते चावल, गेहूं, दाल और चीनी पर भी रेट प्रेसर आंशिक रूप से कम हुए हैं. यही वजह है कि अक्टूबर में खाद्य महंगाई में भी मामूली गिरावट देखने की उम्मीद बढ़ गई है. हालांकि, साथ ही अर्थशास्त्रियों ने सब्जियों रेट में बढ़ोतरी की आशंका जताई है, क्योंकि प्याज की कीमतें बढ़ रही हैं. इसके अलावा फेस्टिव सीजन के चलते चीनी और अन्य खाद्य पदार्थों की कीमत में भी बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में अर्थशास्त्रियों का कहना है कि नवंबर और दिसंबर में मुख्य महंगाई दर में कुछ इजाफा भी हो सकता है.
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हाल ही में केंद्र सरकार ने ख़रीफ़ फसल के उत्पादन का पहला अग्रिम अनुमान रिपोर्ट जारी की थी, जो पिछले साल के मुकाबले काफी कमज़ोर थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल खाद्यान्न उत्पादन पिछले साल के अंतिम अनुमान से 4.6 प्रतिशत कम है. खास कर दाल और चावलों के उत्पादन में क्रमशः 6.6 प्रतिशत और 3.8 प्रतिशत कमी आने की बात कही गई है. रिपोर्ट में सरकार ने कहा था कि इसके बावजूद भी हम महंगाई पर लगाम लगाने के लिए अनाज की कीमतों पर नजर रख रहे हैं. विशेष रूप से चावल और गेहूं पर मेरा ध्यान ज्यादा है.
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