Animal Husbandry: दूध के मामले में डेयरी मंत्री ने कश्मीर की दिल खोलकर की तारीफ, पढ़े डिटेल 

Animal Husbandry: दूध के मामले में डेयरी मंत्री ने कश्मीर की दिल खोलकर की तारीफ, पढ़े डिटेल 

पशुपालन और डेयरी विभाग से जुड़े अफसर बताते हैं कि चारा, पशुपालन और डेयरी से जुड़ी तमाम तरह की योजनाओं के चलते कश्मीर घाटी में दूध कारोबार लगातार बढ़ रहा है. दूध उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. 2022-23 में जम्मू कश्मीर में 28 लाख टन दूध उत्पादन हुआ है. प्रति व्यक्ति 572 ग्राम दूध हिस्से में आता है. 

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Animal Husbandry: दूध के मामले में डेयरी मंत्री ने कश्मीर की दिल खोलकर की तारीफ, पढ़े डिटेल Farmers will get subsidy on cow milk

दूध उत्पादन के मामले में कश्मीर की तरक्कीत देखकर केन्द्री य पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला खासे खुश हैं. हाल ही में उनकी ये खुशी उस वक्त देखने को मिली जब वो गणतंत्र दिवस के मौके पर देश के अलग-अलग राज्यों से दिल्ली में आए पशुपालकों को संबोधित कर रहे थे. कश्मीर के एक पशुपालक जहांगीरगुल को सुनने के बाद उन्होंने कश्मीर की तारीफ करते हुए कहा कि आज हम एक ऐसे कश्मीर को देख रहे हैं जहां बम-गोली नहीं चल रहे बल्कि दूध की नदियां बह रही हैं. गाय पाली जा रही हैं. आज कश्मीर दूध के मामले में तेजी से आगे बढ़ रहा है. 

उन्होंने इस पर भी हैरानी जताई कि आज कश्मीर का पशुपालक सैक्स सॉर्टेड सीमेन की मदद से अपने दूध के कारोबार को आगे बढ़ा रहा है. इस दौरान केन्द्रीय मंत्री ने कश्मीर के सफल पशुपालक जहांगीर गुल को सम्मानित भी किया. साथ ही उम्मीद जताई कि सरकारी योजनाओं का फायदा उठा आगे बढ़ने के बाद दूसरे लोगों को भी जागरुक करोगे. 

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अनंतनाग में हर रोज होता है 7.29 लाख लीटर दूध 

जम्मू-कश्मीर पशुपालन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि कश्मीर में पशुपालन तेजी से बढ़ रहा है. इसकी गवाही कश्मीर का दूध उत्पादन भी देता है. विभाग के आंकड़ों की मानें तो अनंतनाग जिले में हर रोज 7.29 लाख लीटर यानि सालाना 266.35 हजार टन दूध उत्पादन होता है. इस आंकड़ें के साथ अनंतनाग कश्मीर में टॉप पर है. इसके बाद दूसरा नंबर पुलवामा का आता है. हालांकि एक वो भी वक्त था जब पुलवामा को आतंकवाद के पोस्टर बॉय की नर्सरी कहा जाता था. लेकिन आज वहां सालाना 262.95 हजार टन दूध उत्पादन होता है. 

दूध उत्पादन में ही कश्मीर के दूसरे जिलों की बात करें तो बडगाम में 240.70 हजार टन, बारामूला में 199.85 हजार टन, कुलगाम में 161 हजार टन, कुपवाड़ा में 153.95 हजार टन, बांदीपोरा में 119.98 हजार टन और श्रीनगर में 100.410 हजार टन दूध का उत्पादन सालाना हो रहा है. यहां सबसे कम दूध उत्पादन गांदरबल और शोपियां में 96.37 हजार टन और 72.96 हजार टन सालाना हो रहा है. 

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डेयरी से जुड़ी योजनाओं का फायदा उठा रहे हैं पशुपालक

पशुपालन और डेयरी सेक्टर में हर साल आ रहे बदलाव की बड़ी वजह सरकारी योजनाएं बताई जा रही हैं. डेयरी और पशुपालन से जुड़े लोगों की मानें तो डेयरी में सबसे ज्यादा फायदा इंटीग्रेटेड डेयरी स्कीम (IDS) से मिल रहा है. उनका कहना है कि इस योजना से बहुत सुधार आया है. इसी वित्त  वर्ष में ही तीन तिमाही में 221 लोगों को आईडीएस के तहत 1.17 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिली है. उनका कहना है कि नई यूनिट खुलने से जहां रोजगार मिलता है तो वहीं बायो कंपोस्ट भी मिलती है. राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना का फायदा भी पशुपालकों को आगे बढ़ने में मदद कर रहा है. 

 

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