scorecardresearch
Ice Cream: एक ठेले से चार राज्यों में बनाया आइसक्रीम का कारोबार, पढ़ें देवीलाल कोठारी की कहानी  

Ice Cream: एक ठेले से चार राज्यों में बनाया आइसक्रीम का कारोबार, पढ़ें देवीलाल कोठारी की कहानी  

देवीलाल कोठारी को ये पता चल गया था कि सूरत के लोग आइसक्रीम बहुत पसंद करते हैं. और किस तरह की आइसक्रीम उन्हें पसंद आएगी ये भी पता था. इसलिए पहले घर पर आइसक्रीम बनाते और फिर कार्ट में भरकर उसे बाजार में बेचते थे. जब काम बढ़ने लगा तो अपने बेटे को भी साथ में ले लिया.

advertisement
मनमोहक आइसक्रीम का पार्लर और मुकेश कोठारी. मनमोहक आइसक्रीम का पार्लर और मुकेश कोठारी.

18-19 साल का एक लड़का रोजगार की तलाश में राजस्थान से अहमदाबाद, गुजरात पहुंच जाता है. लड़के को आइसक्रीम खाने का बड़ा शौक था, लेकिन घर के हालात शौक पूरा करने की इजाजत नहीं देते थे. नौकरी और शौक दोनो एक साथ हो जाएं इसके लिए उस लड़के ने अहमदाबाद की एक आइसक्रीम कंपनी में नौकरी शुरू कर दी. लड़के की लगन और उसके गुणों को देखते हुए आइसक्रीम कंपनी ने उसे अपने प्रोडक्ट के साथ मेले-तमाशों में भेजना शुरू कर दिया. खासतौर से सूरत के जन्माष्टमी मेले में उस लड़के की डयूटी लगाई जाती. इस लड़के का नाम था देवीलाल कोठारी.

कुछ वक्त बाद 1972 में मेले से बाजार में आइसक्रीम की नब्ज पकड़ कर देवीलाल कोठारी ने खुद की आइसक्रीम तैयार कर उसे बेचना शुरू कर दिया. आज उस आइसक्रीम को मनमोहक आइसक्रीम के नाम से जाना जाता है. गुजरात और महाराष्ट्र में अपने आइसक्रीम पार्लर चलाने के बाद अब ये कंपनी राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी मनमोहक आइसक्रीम के पार्लर खोलने जा रही है. 

ये भी पढ़ें: Green Fodder: तय होगी पशुधन की खाद्य सुरक्षा, देश में बनेंगे चार चारा बैंक, जानें सरकार का प्लान 

ठेल से इसलिए शुरू किया आइसक्रीम पार्लर

देवीलाल के पुत्र मुकेश कोठारी अब इस कारोबार को चला रहे हैं. उन्होंने किसान तक से बात करते हुए बताया कि आज कंपनी के गुजरात और महाराष्ट्र में खुद के 14 पार्लर हैं और 22 फ्रैंचाइजी हैं. साल 1978 में सूरत के रघुनाथपुरा में पहला पार्लर शुरू किया गया था. अब कोठारी परिवार की तीसरी पीढ़ी भी इस कारोबार में आ चुकी है. इसलिए कंपनी ने अपने कारोबार को बढ़ाना शुरू कर दिया है. इसीलिए कंपनी अब राजस्थान-मध्य प्रदेश में आइसक्रीम पार्लर शुरू करने जा रही है. पार्लर ही क्यों, इस बारे में मुकेश बताते हैं कि इस भागदौड़ वाली जिंदगी में लोग परिवार और दोस्तों संग एक जगह बैठकर आइसक्रीम का मजा अच्छे से ले सकें इसी ख्याल से हमारा पूरा फोकस पार्लर पर ही रहता है. और पार्लर को डिजाइन भी इसी तरह से किया जाता है कि लोग यहां आकर बैठ सकें.  

 प्लांट को हाईटेक और पार्लर को डिजाइनदार बनाया 

मुकेश कोठारी ने बताया कि साल 1992 में मेरे पिता ने मुझे राजस्थान से गुजरात बुला लिया. लेकिन तब तक वो नाम और पहचान बना चुके थे. हमे बस संभालना था. अभी तक पुरानी मशीनों से आइसक्रीम बन रही थी. लेकिन अब जरूरत थी कि प्लांट को हाईटेक बनाया जाए. हमने सबसे पहले नई-नई मशीन लाना शुरू किया. अब काम और बढ़ने लगा. खुद के पार्लर बनाने के साथ फ्रैंचाइजी पर भी देने लगे.

ये भी पढ़ें: Poultry Export: सरकार-पोल्ट्री फार्मर की इस कोशिश से पहले साल ही बढ़ गया अंडों का एक्सपोर्ट, जानें वजह

फिर और क्वालिटी लाने के लिए पार्लर का डिजाइन तय किया, लोगो बदला, अच्छी जगहों पर पार्लर खोले. ऐसा करने के बाद एक बार फिर से किस्मत चमकी तो फ्रैंचाइजी के लिए लोगों के फोन आने लगे. लेकिन हमने नियम-कानून ऐसे बनाए कि ग्राहक को अच्छा स्वाद मिले और कंपनी की साख भी बने. इसलिए हम हर जगह फ्रैंचाइजी नहीं देते हैं. आज अमेरिकन ड्राईफ्रूट आइसक्रीम हमारी पहचान बन चुकी है. बाजार में हम रेट और टेस्ट दोनों का ही ख्याल रखते हैं.