फरवरी के बाद से नींबू के दाम ग्राहकों को चिढ़ाना शुरू कर देते हैं. पूरी गर्मी नींबू बाजार का राजा बन जाता है. हर मार्केट में सिर्फ नींबू की ही चर्चा रहती है. इस साल भी नींबू के दाम ने रुख बदलना शुरू कर दिया है.10 दिन में नींबू के दाम 30 से 40 रुपये बढ़ चुके हैं. बीते साल नींबू 400 रुपये किलो तक बिका था. इस दौरान नींबू के दाम बढ़ने के तीन बड़े कारण हैं. दिल्ली़-एनसीआर में ही नींबू की खपत पर बात करें तो सात से आठ ट्रोला गाड़ी रोज की आती हैं.
20 फरवरी से लेकर एक मार्च तक नींबू के दाम 100 से 110 रुपये तक आ चुके हैं. जबकि इससे पहले यही नींबू 55-60 रुपये किलो तक बड़े ही आराम से मिल रहे थे. हालांकि जानकारों का मानना है कि हर साल की तरह से अप्रैल और मई में नींबू के दाम आसमान को छू सकते हैं. मार्च की शुरुआत में ही चेन्नई और आंध्रा प्रदेश से सात से आठ ट्रोला गाड़ी नींबू रोज आ रहा है.
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आजादपुर मंडी, दिल्ली में नींबू का थोक कारोबार करने वाले रविन्द्र ने किसान तक को बताया कि फरवरी की शुरुआत तक बाजार में देसी नींबू खूब आता है. क्योंकि यह आसपास के जिलों से आता है तो सस्ता भी पड़ता है. 10-15 दिन पहले तक मंडी में नींबू के दाम 55 से 60 रुपये किलो तक थे, लेकिन जैसे ही मौसम में गर्माहाट आने के साथ तापमान भी बढ़ने लगा तो देसी नींबू की सप्लाई कम हो गई.
वे बताते हैं कि देसी नींबू का छिलका पतला होता है तो नींबू जल्दी सूखने लगता है. हर साल ऐसा ही होता है कि फरवरी के आखिर तक देसी नींबू की सप्लाई पूरी तरह से बंद हो जाती है. इसके बाद चेन्नई और आंध्रा प्रदेश का नींबू आना शुरू हो जाता है.
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नींबू कारोबारी हाजी अखलाक ने बताया कि अप्रैल में नवरात्र और रमजान एक साथ आते हैं. इन दिनों नींबू की खपत बढ़ जाती है. वैसे भी गर्मियों में शिकंजी के चलते डिमांड कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है. अगर साल 2022 की बात करें तो अप्रैल में नींबू के दाम 400 रुपये किलो तक पहुंच गए थे. इतना ही नहीं साफ्ट ड्रिंक्स और कुछ दवाई बनाने वाली कंपनियां भी इन दिनों नींबू की जमकर खरीदारी करती हैं. कंपनी तो सीधे खेत से ही नींबू खरीदकर ले जाती हैं.
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