पूर्व केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्री और शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर एमएसपी की गारंटी देने सहित किसानों से जुड़े मुद्दों को हल करने की मांग की है. उनके इस पत्र से उन किसान संगठनों की आवाज आगे बढ़ेगी जो लंबे समय से एमएसपी से कम पर फसलों की खरीद न होने देने की मांग कर रहे हैं. बादल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को लिखे गए पत्र में कृषि और किसानों से जुड़े दूसरे मुद्दों पर भी बात की है. मालूम हो कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि से संबंधित लाए गए तीनों कानूनों का विरोध करते हुए हरसिमरत कौर ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. ऐसे में 2024 के आम चुनावों से पहले इस तरह की मांग को सियासी चश्में से ज्यादा देखा जाएगा.
वहीं मौजूदा वक्त में भी देशभर के अलग-अलग किसान संगठन एमएसपी की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं. ऐसे वक्त में एक बार फिर पूर्व मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कृषि मंत्री तोमर को पत्र लिखकर किसानों का स्टैंड लिया है. आइए विस्तार से जानते है पूर्व केंद्रीय मंत्री ने केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर को पत्र लिखकर क्या-क्या आग्रह किया है-
पूर्व मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय कृषि को मंत्री लिखा है कि जैसा कि आप जानते हैं कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हमारे बहादुर किसानों ने दिल्ली के बाहर एक साल का 'आंदोलन' किया था. आखिरकार 20 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन विवादास्पद कानूनों को रद्द कर दिया और किसानों से अपने घरों और खेतों में लौटने का आग्रह किया. किसानों को केंद्र सरकार पर इतना भरोसा था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था को कानूनी गारंटी दी जाएगी और बाकी सभी मुद्दों को किसान प्रतिनिधियों सहित एक उच्च स्तरीय समिति के गठन के माध्यम से हल किया जाएगा.
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हालांकि, मुझे आपके जानकारी में यह लाते हुए दुख हो रहा है कि कृषि कानूनों को रद्द किए जाने के 18 महीने बीत जाने के बाद भी संयुक्त किसान मोर्चा से किए गए वादों को केंद्र सरकार लिखित सहमति के बावजूद अभी तक पूरा नहीं कर पाई है. जैसा कि आप जानते हैं, संघर्ष में करीब 800 किसान शहीद हुए थे और हमें उनकी कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाने देनी चाहिए.
हरसिमरत कौर बादल ने पत्र में कृषि मंत्री से जल्दी से समाधान के लिए निम्नलिखित मुद्दों को उठाया और आग्रह किया है-
• किसानों को एमएसपी की गारंटी देना सबसे जरूरी है. यह स्वानिनाथन आयोग के अनुसार किया जाना चाहिए जिसमें C2 प्लस 50 प्रतिशत लाभ (उत्पादन की लागत और 50 प्रतिशत लाभ) के फॉर्मूले की सिफारिश की थी.
• यह मौजूदा वक्त में संभव नहीं लगता है, क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा गठित एमएसपी समिति में वर्तमान में ऐसे नियम और शर्तें हैं जो संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा मांगी गई शर्तों के विपरीत हैं. यही कारण है कि एसकेएम ने मांग की है कि इस समिति का पुनर्गठन किया जाए और इसका अधिकार सभी फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी होना चाहिए. नई एमएसपी कमेटी में एसकेएम को भी उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए.
• सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि इनपुट की बढ़ती लागत के कारण किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा है. यह किसानों को कर्ज के जाल में फंसाने के लिए मजबूर कर रहा है जो किसान समुदाय में आत्महत्याओं में बढ़ोतरी का कारण है. किसानों को कृषि लोन से छूट देकर यूनिवर्सल रूप से राहत दी जा सकती है.
• किसान समुदाय में यह भावना है कि लखीमपुरी मामले में न्याय नहीं हुआ है जिसमें केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे ने निर्दोष किसानों को अपनी एसयूवी से कुचल दिया था. अब तक न तो मंत्री को कैबिनेट से हटाया गया और न ही निर्दोष किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए गए.
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• किसान समुदाय में भारी मांग है कि बिजली सुधार विधेयक 2022 को तत्काल वापस लिया जाए. यह 9 दिसंबर 2021 को SKM को लिखित रूप में बताया गया था, जिसमें केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया था कि विधेयक को किसानों के साथ चर्चा के बाद ही संसद में पेश किया जाएगा. हालांकि ऐसा नहीं किया गया.
• सरकार को एक व्यापक और विवेकपूर्ण फसल बीमा योजना लानी चाहिए जो सूखे, बाढ़, आंधी और बीमारियों से क्षतिग्रस्त सभी फसलों के लिए पूर्ण मुआवजा सुनिश्चित करे.
• सभी छोटे किसानों, महिला किसानों और खेतिहर मजदूरों को प्रति माह 10,000 रुपये की पेंशन दी जाए.
• भाजपा शासित राज्यों में किसानों के खिलाफ दर्ज सभी मामले वापस लिए जाएं और किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए और उनकी याद में एक स्मारक बनाया जाए.
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