संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने बुधवार को कानूनी गारंटी सहित अपनी लंबित मांगों को स्वीकार करने और केंद्र पर दबाव बनाने के लिए 26 नवंबर से तीन दिवसीय विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है. इस विरोध प्रदशर्न में एमएसपी की मांग भी शामिल है. बुधवार को मीडिया को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि किसान अपनी लंबित मांगों को स्वीकार न किए जाने के खिलाफ आंदोलन करेंगे, जिसमें साल भर के आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेना भी शामिल है.
मांगों में कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए, आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के परिवार के एक सदस्य को मुआवजा और नौकरी दी जाए, कर्ज माफी और किसानों को पेंशन दी जाए जैसी बातें शामिल हैं.
भारती किसान यूनियन (दाकुंडा) के अध्यक्ष बूटा सिंह बर्गिल ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के तहत, किसान पंजाब के राज्यपाल के आवास की ओर बढ़ेंगे और अगर उन्हें रोका गया, तो वे वहीं रुकेंगे और अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे. बीकेयू (लाखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह लाखोवाल ने कहा कि आंदोलन में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में किसान विरोध स्थलों पर पहुंचेंगे.
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जालंधर में चल रहे विरोध प्रदर्शन का जिक्र करते हुए, लाखोवाल ने गन्ने की कीमतों और गन्ने के पेराई सत्र की शुरुआत नहीं करने के लिए आप सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि किसान मांग कर रहे हैं कि राज्य सरकार को गन्ने के लिए 450 रुपये प्रति क्विंटल की घोषणा करनी चाहिए. संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों ने गन्ने की कीमतों में बढ़ोतरी की मांग को लेकर मंगलवार को धानोवाली गांव के पास जालंधर-नई दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग के जालंधर-फगवाड़ा खंड को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया है.
लाखोवाल ने कहा कि पराली जलाने के मुद्दे पर किसान नेताओं ने मांग की कि सरकार पराली जलाने के आरोप में किसानों के खिलाफ दर्ज एफआईआर वापस ले. किसानों के खिलाफ दर्ज सभी मामले तुरंत वापस लिए जाने चाहिए. किसानों पर लगाए गए जुर्माने और राजस्व रिकॉर्ड में रेड मार्किंग को भी वापस लिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कई किसानों को जुलाई और अगस्त में बाढ़ से हुई फसल क्षति का पूरा मुआवजा नहीं मिला है.
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