‘देश में आठ करोड़ डेयरी किसान हैं. ये पशु प्रेम का भी एक उचित माध्य्म है. मैं खुद घोड़े पालना चाहता था. इसीलिए मैं कहता हूं कि जो भी सक्षम है उसे पशुपालन जरूर करना चाहिए.’ ये कहना है पंजाब के राज्यपाल और गुरू अंगद देव वेटरनरी एंड एनीमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना के कुलाधिपति बनवारीलाल पुरोहित का. गडवासु के दीक्षांत समारोह में पशु चिकित्स की डिग्री हासिल करने वाले छात्रों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने ये बात कही. उन्होंने गडवासु की तारीफ करते हुए कहा कि गडवासु का डेयरी आधारित बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर निश्चित तौर पर पंजाब को डेयरी सेक्टर से जुड़ी टेक्नोलॉजी की क्रांति में आगे ले जाएगा.
गौरतलब रहे वर्ल्ड बैंक की फंडिंग पर गडवासु के एनएएचईपी-संस्थागत विकास योजना के तहत यूनिवर्सिटी के 42 संकाय सदस्यों और 188 छात्रों ने विदेश के नामी विश्वविद्यालयों में ट्रेनिंग सेंटर चलाकर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत किया.
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गडवासु के वाइस चांसलर डॉ. इंद्रजीत सिंह ने दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि गडवासु की कई शानदार उपलब्धियां हैं. गडवासु की रिसर्च और एकेडमिक जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से इसे मान्यता मिली है. एनीमल, फिशरीज, डेयरी साइंस और एनीमल बायो टेक्नोनलॉजी में युवा बेहतर करियर बना सकते हैं. बाजार में एक्सलपर्ट की जरूरत लगातार बनी हुई है. कई राष्ट्रीय एंजेसियां संबंधित विषय में रिसर्च के लिए फंडिंग भी कर रही हैं.
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गडवासु के रजिस्ट्रार डॉ. एचएस बंगा ने बताया कि दीक्षांत समारोह मे 250 छात्रों को डिग्री दी गई हैं. डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी, मास्टर ऑफ वेटरनरी साइंस, मास्टर ऑफ डेयरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी, मास्टर ऑफ फिशरीज साइंस, मास्टर ऑफ वेटरनरी साइंस, मास्टर ऑफ साइंस में छात्र-छात्राओं को डिग्रियां दी गई हैं. इसके साथ ही बायो टेक्नोलॉजी में बैचलर ऑफ वेटरनरी साइंस एंड एनिमल हसबेंडरी, बैचलर ऑफ डेयरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी, बैचलर ऑफ फिशरीज साइंस और बैचलर ऑफ बायो टेक्नोलॉजी में अच्छा प्रदर्शन करने वाले मेधावी छात्रों को छह स्वर्ण पदक और 63 योग्यता प्रमाण पत्र भी दिए गए.
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