इंडियन डेयरी का प्लान श्रीलंका में भी लागू किया जा रहा है. हाल ही में नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) चेयरमैन मीनेश शाह ने श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात कर उन्हें श्रीलंका में डेयरी सेक्टर को मजबूत करने के प्लान की जानकारी दी. गौरतलब रहे एनडीडीबी, अमूल का संचालन करने वाली गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) डेयरी और एक भारतीय प्राइवेट कंपनी साथ मिलकर श्रीलंका में डेयरी सेक्टर का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहे हैं. अमूल के मॉडल पर श्रीलंका में डेयरी बाजार तैयार किया जा रहा है.
इस मौके पर मीनेश शाह ने राष्ट्रपति रानिल को साथ मिलकर तैयार हो रही डेयरी कंपनी की व्यावसायिक योजना, मुनाफे और डेयरी किसानों की बेहतर आजीविका के बारे में भी बताया. इस संयुक्ती कंपनी का मकसद श्रीलंकाई डेयरी सेक्टर को तरक्की की दिशा में ले जाने के साथ ही घरेलू दूध उत्पादन और उससे जुड़े संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करना है.
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डॉ. मीनेश शाह का कहना है कि एनडीडीबी, जीसीएमएमएफ (अमूल), कारगिल्स (सीलोन) और पीएलसी (कारगिल्स सीलोन) साथ मिलकर श्रीलंकाई डेयरी को बदलने और मजबूत बनाने में जुटे हुए हैं. उनका कहना है कि भारत श्रीलंका को डेयरी उद्योग और दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेगा, इसका मकसद ये है कि आयातित दूध उत्पादों पर श्रीलंका की निर्भरता को कम हो.
राष्ट्रपति संग हुई चर्चा के दौरान श्रीलंका में उप उच्चायुक्त डॉ. सत्यंजल पांडे, श्रीलंका में भारत की प्रथम सचिव (ईएंडसी) देविका लाल (भारतीय उच्चायोग) कोलंबो, रंजीत पेज, कारगिल्स (सीलोन) पीएलसी (कारगिल्स सीलोन), श्रीलंका के उपाध्यक्ष और सीईओ और एनडीडीबी, अमूल के अधिकारियों ने भी डेयरी की इस संयुक्त कंपनी के प्लान पर चर्चा की.
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जानकारों की मानें तो एनडीडीबी, जीसीएमएमएफ (अमूल), कारगिल्स (सीलोन) और पीएलसी (कारगिल्स सीलोन) और श्रीलंका की सरकार के साथ मिलकर बनने वाली इस कंपनी का मकसद देश में खाद्य सुरक्षा प्रदान करना भी है. देश में बच्चों में कुपोषण के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है. डब्ल्यूएफपी के अनुसार श्रीलंका में करीब 50 हजार बच्चे कुपोषण रोग से पीड़ित हैं. इसी परेशानी पर काबू पाने के लिए भी श्रीलंका सरकार ने एनडीडीबी और अमूल डेयरी के साथ ये समझौता किया है.
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