केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था की बहुत बड़ी ताकत है. हम खाद्यान्न की दृष्टि से सरप्लस हैं, निर्यात भी चार लाख करोड़ रुपये से अधिक का हुआ, जो अब तक का सबसे ज्यादा है. कृषि क्षेत्र में संतुलन बनाना भी हम सब की जिम्मेदारी है. आज जरूरत इस बात की है कि जो भी काम लैब में हो रहा है, वह लैंड तक पहुंचे. कृषि से जुड़े संस्थानों की विशेषज्ञता का लाभ किसानों तक पहुंचाते हुए कृषि विस्तार के काम को आगे बढ़ाना चाहिए. टेक्नोलॉजी का लाभ कृषि क्षेत्र व किसानों को मिलना चाहिए.
तोमर सोमवार को हैदराबाद में अगले महीने होने जा रही जी-20 के कृषि मंत्रियों की बैठक की तैयारियों का जायजा ले रहे थे. इस मौके पर उन्होंने विस्तार शिक्षा संस्थान (EEI) के ऑडिटोरियम और राष्ट्रीय वनस्पति स्वास्थ्य प्रबंधन संस्थान (NIPHM) की जैव नियंत्रण प्रयोगशाला भवन का उद्घाटन किया. यह प्रयोगशाला विभिन्न फसलों पर लगने वाले कीटों और रोग आदि के जैविक नियंत्रण को बढ़ावा देने का काम करेगी. साथ ही मिट्टी के स्वास्थ्य और उसकी उर्वरता बनाए रखने के लिए उन्नत पद्धतियों को समझने का काम करेगी.
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तोमर ने कहा कि इस बार जी-20 की अध्यक्षता भारत के पास है. देश में 50 जगह जी-20 के विभिन्न श्रेणियों के कार्यक्रम अलग-अलग विषयों को लेकर हो रहे हैं. आयोजन की थीम एक पृथ्वी-एक परिवार-एक भविष्य है. भारत पुरातन काल से ही वसुधैव कुटुम्बकम की धारणा के साथ विश्व कल्याण के बारे में सोचता आ रहा है और उसी रास्ते पर चलते हुए भारत की शक्ति और प्रतिष्ठा दोनों बढ़ रही है. हमने देश की आजादी के 75 साल होने पर अमृत महोत्सव मनाया. इन 75 सालों में आज हम कुछ कर पाने की स्थिति में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं- 75 वर्ष पूरे हुए हैं, 100 साल 2047 में पूरे होंगे, ये 75 व 100 वर्षों के बीच की 25 वर्षों की यात्रा (अमृत काल) देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं.
अगले 25 साल का यह कालखंड ऐसा है, जिसमें भारत जो भी साचेगा, उसे पूरा करने का दमखम रखता है. हमारी जिम्मेदारी है कि इन 25 वर्षों में ऐसा कुछ करें, जिससे हिंदुस्तान को विकसित राष्ट्रों की अगली पंक्ति में हम खड़ा कर सकें. इसके लिए हमें सभी क्षेत्रों में समग्र रूप से काम करने की जरूरत है. भारत के लिए कृषि क्षेत्र रीढ़ की तरह है, इसलिए कृषि को मजबूत रखना, और इसे उन्नत कृषि के रूप में तब्दील करना बहुत जरूरी है. देश की आवश्यकताओं के साथ दुनिया की जरूरतें पूरी करने में भी किसान सक्षम हों, इस दिशा में सोचने और काम करने की जरूरत है. यह जिम्मेदारी किसानों व सरकारों के साथ कृषि से जुड़े उद्यमियों, स्टार्टअप्स, किसानों और वैज्ञानिकों सभी की है.
आज केंद्र व राज्य सरकारों की कृषि हितैषी नीतियों और किसानों के परिश्रम की वजह से अधिकांश कृषि उत्पादों में भारत, दुनिया में पहले या दूसरे स्थान पर है. हमारी कोशिश है कि हर उत्पाद में भारत नंबर वन बनें. दूसरी ओर, आज दुनिया का राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है, भारत अब मांगने वाला नहीं, बल्कि दुनिया को देने वाला देश बन गया है. ऐसे में हमें अपने मित्र देशों और हमसे अपेक्षा करने वालों के प्रति भी जवाबदेह रहना है. कृषि को जितना ताकतवर बनाएंगे, देश उतना ताकतवर बनेगा.
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