
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले जिले में स्थित दुआ गांव की पहचान अब हाईटेक गांव के रूप में होती है. लगभग 2,000 की आबादी वाले इस गांव के बदलाव का श्रेय 40 वर्षीय ग्राम प्रधान राजेश सिंह को जाता है, जिन्होंने गांव में 32 सीसीटीवी कैमरे से लेकर प्राथमिक विद्यालय में एक स्मार्ट क्लास शुरू करके समाज में एक नजीर पेश की हैं.

ग्राम प्रधान राजेश सिंह ने बताया कि मैं अपने गांव के लिए कुछ करना चाहता था. मुझे एहसास हुआ कि बिना किसी पद के कुछ भी नहीं किया जा सकता. तभी मुझे 2021 में होने वाले ग्राम प्रधान चुनाव लड़ने की जरुरत महसूस हुई और मैं निर्वाचित हो गया.

ग्राम प्रधान ने बताया कि एक समय था जब सूरज ढलने के बाद दुआ गांव की गलियां सुनसान हो जाती थी. आज गांव में 32 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. वहीं चोरी की घटनाओं में कमी आई है. अब सड़कों पर कोई नहीं लड़ता और महिलाएं सुरक्षित महसूस करती हैं. लोग हमेशा सावधान रहते हैं क्योंकि कैमरा सब कुछ रिकॉर्ड करता है.

उधर, कैमरे लगवाने के अलावा ग्राम प्रधान ने दुआ गांव में और भी कई बदलाव किए हैं. गांव के पंचायत भवन में जन सुविधा केंद्र है, जिसमें ग्रामीणों को बैंकिंग, दस्तावेज़ीकरण और संबंधित कागजी कार्रवाई में मदद करने के लिए एक आईटी सेंटर भी बनाया गया है.

ग्राम प्रधान राजेश सिंह ने आगे बताया कि आईटी सेंटर एक कंप्यूटर से सुसज्जित है जिसे एक ऑपरेटर द्वारा चलाया जाता है जो ग्रामीणों को उनके कागजी काम में मदद करता है. यह बैंक दस्तावेज़ जमा करने, आधार कार्ड अपडेट, बिजली बिलों का भुगतान आदि जैसी नियमित गतिविधियों के लिए मुफ्त सेवाएं प्रदान करता है. आईटी सेंटर हर दिन सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है.

गांव के प्राथमिक विद्यालय में आज लगभग 300 बच्चे पढ़ते हैं क्योंकि इसमें अब प्रोजेक्टर के साथ स्मार्ट क्लास और अंतरिक्ष प्रयोगशाला जैसी आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं. स्मार्ट क्लास कंप्यूटर, ऑडियो/विज़ुअल सहायता जैसी तकनीकों का उपयोग करता है जो बच्चों के लिए सीखने को दिलचस्प बनाता है.

इसके अलावा, गांवों में जल निकासी लाइनों की नियमित रूप से सफाई की जाती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि बारिश होने पर नालियां बंद न हों.

गांव में स्ट्रीट लाइट लगाई गई है, रास्ते अब इंटरलॉकिंग टाइल्स से बिछाए गए हैं, सीवेज का पानी अब सड़कों पर नहीं भरता है और नालियां नियमित रूप से साफ की जाती हैं. डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों को दूर रखने के लिए बीच-बीच में फॉगिंग की जाती है.
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