देश का सबसे बड़ा कमोडिटी डेरिवेटिव एक्सचेंज MCX (Multi Commodity Exchange) अब FPOs (Farmer Producer Organisations) को कृषि उत्पादों के वायदा व्यापार से जोड़ने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है. इससे पहले NCDEX प्लेटफॉर्म पर कई FPOs ने सफल व्यापार किया है, और अब MCX भी किसानों को इस सुविधा से जोड़ने जा रहा है.
वायदा व्यापार एक ऐसा माध्यम है, जिससे किसान अपने उत्पाद की भविष्य की कीमतों के आधार पर पहले से निर्णय ले सकते हैं कि उन्हें कौन सी फसल बोनी चाहिए. इससे किसानों को बाजार में भाव गिरने या बढ़ने से पहले ही योजना बनाने में मदद मिलती है.
MCX के माध्यम से किसानों को मिलेगा:
MCX ने FPOs के लिए कई लागतों की भरपाई करने का फैसला किया है, जैसे:
इन सुविधाओं से FPOs को व्यापार में नुकसान का जोखिम कम होगा और उन्हें बाजार से बेहतर जुड़ाव मिलेगा.
NCDEX प्लेटफॉर्म पर 46 FPOs ने अप्रैल से जुलाई 2025 तक करीब ₹150 करोड़ का व्यापार किया है. प्रमुख उत्पादों में शामिल हैं: जीरा, कैस्टर, धनिया, हल्दी, कपास और ग्वारसीड.
इनमें से 25 FPOs ने अकेले ₹1 करोड़ से अधिक की बिक्री की है. इससे साबित होता है कि वायदा व्यापार किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प बन चुका है.
NCDEX की तरह अब MCX भी जीरा, कैस्टर जैसे उत्पादों के साथ-साथ मेंथा को भी वायदा व्यापार के लिए पेश करेगा. इससे किसानों को और विकल्प मिलेंगे और उनकी आमदनी बढ़ेगी.
FPOs के माध्यम से व्यापार करने से कृषि क्षेत्र में औपचारिकता आ रही है. किसान सीधे अपने FPO के बैंक खाते में भुगतान पा रहे हैं, जिससे लेन-देन में पारदर्शिता आ रही है और बिचौलियों की भूमिका कम हो रही है.
सरकार ने 10,000 नए FPOs बनाने की योजना चलाई है, जिसमें हर FPO को ₹18 लाख तक की वित्तीय सहायता दी जा रही है.
इसके अलावा:
इस योजना के लिए कुल ₹6,865 करोड़ का बजट तय किया गया है जो FY21 से FY26 तक चलेगा.
आज के समय में 9,450 से ज्यादा FPOs सरकार के ONDC प्लेटफॉर्म से जुड़े हैं. साथ ही Amazon, Flipkart, और GeM जैसे प्लेटफॉर्म पर भी इन FPOs के उत्पाद बिक रहे हैं.
MCX द्वारा किसानों के समूहों को वायदा व्यापार में शामिल करने की पहल, भारतीय कृषि को अधिक आधुनिक, पारदर्शी और लाभकारी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इससे न केवल किसानों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि वे अपने उत्पादन की योजना पहले से बना सकेंगे और बाजार में मजबूती से टिक पाएंगे.
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