भारत और ऑस्ट्रेलिया (IND vs AUS) के बीच चल रही वनडे सीरीज का दूसरा मैच आज इंदौर के होलकर स्टेडियम में खेला गया. इस मैच में भारतीय टीम ने न सिर्फ बल्लेबाजी में शानदार शुरुआत की और अपने खाते में 399 रन बनाए. इतना ही नहीं भारत ने 99 रनों से शानदार जीत भी हासिल की. लेकिन उससे पहले मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने भी एक खूबसूरत पहल शुरू की है. दरअसल, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच इस दूसरे वनडे मैच के शुरू होने से पहले मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने एक हरित पहल शुरू की है. उन्होंने इंदौर के होल्कर स्टेडियम में करीब 376 सोलर पैनल लगाए हैं. इस पहल को शुरू करने का उद्देश्य ऊर्जा की बचत करना और हर साल 277 टन कार्बन उत्सर्जन को कम करना है.
इस ऐतिहासिक पहल के उद्घाटन के मौके पर मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के कुछ खास सदस्यों के साथ भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान केएल राहुल भी मौजूद थे. बीसीसीआई ने ट्विटर पर एक पोस्ट कर इंदौर के होलकर स्टेडियम में लगे सोलर पैनल की जानकारी दी है.
सौर पैनलों का उपयोग मुख्य रूप से सूर्य के प्रकाश से बिजली उत्पन्न करने के लिए किया जाता है. जब सूरज की रोशनी एक पैनल के भीतर सोलर सेल से टकराती है, तो यह इलेक्ट्रॉनों को चार्ज करती है, जिससे बिजली का प्रवाह पैदा होता है. इस बिजली का उपयोग घरों, व्यवसायों और यहां तक कि पूरे शहरों को बिजली देने के लिए किया जा सकता है. कई लोग अपनी बिजली पैदा करने के लिए अपनी छतों पर सौर पैनल लगाते हैं. इससे ग्रिड से बिजली पर उनकी निर्भरता कम या खत्म हो सकती है, पैसे की बचत होगी और उनके कार्बन उत्सर्जन में कमी आ सकती है.
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कार्बन उत्सर्जन, जिसे कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन के रूप में भी जाना जाता है. यह वातावरण में मौजूद या छोड़े जाने वाले कार्बन डाइऑक्साइड गैस को दर्शाता है. ये उत्सर्जन मुख्य रूप से इंसानों के द्वारा पैदा किया जाता है. यह विशेष रूप से जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) के जलने और कुछ अन्य चीजों के माध्यम से कार्बन उत्सर्जन पैदा होता है. ऊर्जा उत्पादन, परिवहन और हीटिंग के लिए कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधन का जलना कार्बन उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत है. जब इन ईंधनों को जलाया जाता है, तो वे अवशेष के रूप में कार्बन डाइऑक्साइड को वातावरण में छोड़ते हैं.
कार्बन डाइऑक्साइड एक ग्रीनहाउस गैस है जो पृथ्वी के वायुमंडल में गर्मी को रोकती है. अत्यधिक कार्बन उत्सर्जन प्राकृतिक ग्रीनहाउस प्रभाव को बढ़ाता है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन होता है. जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयास अक्सर स्वच्छ और अधिक टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों (जैसे हवा, सौर और पानी) को अपनाकर कार्बन उत्सर्जन को कम करने या उसमें सुधार किया जा सकता है.
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