केंद्र सरकार ने बीते रोज जूट की MSP में बढ़ोतरी की है. वहीं पंजाब और हरियाणा बॉर्डर पर MSP गारंटी कानून की मांग को लेकर किसान 13 फरवरी से डटे हुए हैं. किसानों का आंदोलन, अब देशव्यापी होता हुआ दिख रहा है, जिसके तहत 11 मार्च को राजस्थान में किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के नेतृत्व किसान ट्रैक्टर परेड निकाली जानी है. वहीं 14 मार्च काे रामलीला मैदान में SKM की रैली प्रस्तावित है. किसान संंगठनों की ये पूरी कवायद MSP गारंटी कानून की मांग को लेकर है.
माना जाता है कि MSP गारंटी पर सबसे बड़ा पेंच विश्व व्यापार संंगठन यानी WTO का है, जिसे देखते हुए बीते दिनों, WTO की मंत्री स्तरीय प्रस्तावित बैठक के बीच किसान संंगठनों ने WTO छोड़ो कैंपेन चलाया था. बेशक WTO में कृषि सब्सिडी के मामले पर जमीं बर्फ को पिघालने पर कोई फैसला नहीं हुआ है. आइए इसी बहाने जानते हैं कि WTO की कृषि सब्सिडी का गणित यानी मॉडल क्या है.
WTO दुनिया का शीर्ष व्यापार संगठन है, जो दुनिया के देशों के बीच व्यापार और उसकी नीतियों को नियंत्रित करता है. इसी संबंध में WTO कृषि समझौता भी हैं. इसी में कृषि सब्सिडी को 4 बॉक्स में रखा गया है. जिसमें एम्बर बॉक्स, ब्लू बॉक्स, ग्रीन बॉक्स और डेवलपमेंट बॉक्स हैं. इसमें अमेरिका समेत यूरोपियन यूनियन के देश एम्बर बॉक्स वाली सब्सिडी अपने देश के किसानों को देते हैं.
WTO की कृषि सब्सिडी विकासित देश बनाम विकासशील देश के बीच कृषि सब्सिडी को लेकर टकराव रहता है. असल में अमेरिका समेत यूराेपियन यूनियन के देश प्रति किसान को 40 हजार अमेरिकी डॉलर तक की सब्सिडी देते हैं, ये देश अपने किसानों को अम्बर बॉक्स में सब्सिडी देते हैं, जबकि भारत के प्रत्येक किसान को 300 डॉलर की सब्सिडी देता है. मसलन, भारत समेत कई देश ब्लू बॉक्स में सब्सिडी देते हैं.
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