आज के समय में लोग अपनी बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए न सिर्फ नौकरी करते हैं बल्कि खुद का बिजनेस भी शुरू करते हैं ताकि ज्यादा मुनाफा कमा सकें. ऐसे में अगर आप भी कम निवेश में बड़ी कमाई वाले बिजनेस की तलाश में हैं तो यह स्मॉल बिजनेस आइडिया (Small Business Idea) आपके लिए है. इस बिजनेस आइडिया (Business Idea) की मदद से आप आसानी से कम निवेश में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. इतना ही नहीं इस बिजनेस को शुरू करने के लिए सरकार से भी भरपूर मदद मिल जाएगी. यह बकरी पालन (Goat Farming) का बिजनेस है.
इस बिजनेस में कम लागत, आसानी से रख-रखाव और बढ़िया मुनाफा वाला बिजनेस है. बकरी पालन का बिजनेस (Goat Farming Business) भी इन दिनों तेजी से बढ़ रहा है. बकरी का दूध सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना गया है. कई लोग इस बिजनेस के जरिए मोटी कमाई कर रहे हैं. बकरी पालन एक कमर्शियल बिजनेस माना जाता है. यह किसी देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देता है. बकरी फार्म (Goat Farm) गांवों की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ है. बकरी पालन से दूध, खाद, मीट, छाल जैसे तमाम लाभ मिलते हैं.
बकरी पालन (Goat Farming) व्यवसाय शुरू करने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि हमारे पास बकरी पालन से जुड़ी सारी जानकारी होनी चाहिए. तभी हम इससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इसके लिए बकरी की नस्लों (Goat Breed) के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है. इस कड़ी में आइए जानते हैं कि बकरी पालन के लिए सही नस्ल कौन सी है और इसे कैसे पाला जाए.
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बकरी की जमुनापारी नस्ल बिहार और उत्तर प्रदेश में पाई जाती है. यह मूलतः उत्तर प्रदेश की नस्ल है. इसका वजन 38 से 45 किलोग्राम तक होता है. इसकी पहचान इसके कानों से होती है. जमनापारी के कान बड़े होते हैं, इसे चंबलरानी नाम से भी जाना जाता है. यह दूध और मांस दोनों के लिए बेहतर माना जाता है. इसे बकरी की सबसे अच्छी नस्ल कहा जाता है.
यह नस्ल पंजाब में गुरुदासपुर, फिरोजपुर और अमृतसर के आसपास पाई जाती है. लेकिन अब बिहार में भी किसान इसे पाल रहे हैं और दूध और मिट्टी के कारोबार में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. बीटल भी जमनापारी नस्ल की तरह ही है. यह नस्ल दूध और मांस दोनों के उत्पादन के लिए जानी जाती है. 12 से 18 महीने के बीच पहली बार बच्चे को जन्म देती है.
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सिरोही बकरी आमतौर पर राजस्थान का स्वादिष्ट व्यंजन है. इस नस्ल का उपयोग दूध और मांस दोनों के लिए किया जाता है. वह 18 से 24 महीने के बीच पहली बार बच्चे को जन्म देती है. सिरोही नस्ल की बकरियां सामान्यतः भूरे रंग की, हल्के काले धब्बों वाली होती हैं. कभी-कभी इसका रंग सफेद भी होता है. इसकी जांघों पर बड़े बाल होते हैं और गर्दन के चारों ओर पेंडेंट होते हैं. पोल्ट्री अधिकारी ने बताया कि इस नस्ल की बकरियों पर अनुदान पाकर किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
बकरी की इस नस्ल को मीट उत्पादन के लिए पाला जाता है. यह बिहार और झारखंड के अलावा ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है, लेकिन अब बिहार के पशुपालकों ने इसे अपना लिया है और इसके मांस का उपयोग किया जा रहा है. भोजपुर के बकरी बाजार में इसकी सबसे ज्यादा मांग है.
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