भारत के समुद्री शैवाल क्षेत्र में आने वाले दशकों में एक प्रभावशाली परिवर्तन होने की संभावना है. प्राइमस पार्टनर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया, समुद्री शैवाल की खेती का कारोबार अगले दस वर्षों में 3,277 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. "समुद्री शैवाल की खेती दस लाख लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकती है", और यह दिखाता है कि इस क्षेत्र का विस्तार भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.
भारत का समुद्री शैवाल उद्योग वर्तमान में सिर्फ 200 करोड़ रुपये के आसपास का है, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, यह अगले दशक में 3,277 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है. इस बढ़त से न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि यह लाखों लोगों की आजीविका में भी सुधार ला सकती है. इस उद्योग के विस्तार से लगभग 15 लाख लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और लगभग 4 लाख परिवारों के लिए स्थायी आजीविका का साधन बनेगा.
भारत के विशाल समुद्र तट, जैसे कि लक्षद्वीप और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, समुद्री शैवाल की खेती के लिए बड़े अवसरों से भरे हुए हैं. ये क्षेत्र बड़े पैमाने पर समुद्री शैवाल की खेती के लिए सही हैं, और यहां के प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करके इस उद्योग को बड़े पैमाने पर विकसित किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें: खेती की आड़ में इनकम टैक्स चोरी करने वाले सावधान! सेटेलाइट खोल रहा पोल, ये रहा पूरा मामला
वर्तमान में भारत का वैश्विक समुद्री शैवाल उत्पादन में योगदान 1 प्रतिशत से भी कम है, जिससे यह साफ़ होता है कि हमारे पास इस क्षेत्र में अपार विकास की संभावनाएं हैं. समुद्री शैवाल की खेती से हम न केवल अपने घरेलू उत्पादों की आपूर्ति बढ़ा सकते हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अपने उत्पादों की स्थिति को मजबूत कर सकते हैं.
समुद्री शैवाल की खेती जलीय कृषि के सबसे टिकाऊ प्रकारों में से एक है. समुद्री शैवाल की खेती का विस्तार कार्बन अवशोषण को बढ़ाता है और बायोमास के उत्पादन को बढ़ाता है जिसका उपयोग जैव ईंधन, बायोप्लास्टिक, पशुधन चारा और इंसानों उपभोग के लिए किया जा सकता है.
भारत में समुद्री शैवाल की खेती के मामले में तमिलनाडु राज्य सबसे आगे है, जहां सरकार की ओर से भी इस उद्योग को बढ़ावा दिया जा रहा है. तमिलनाडु ने समुद्री शैवाल उत्पादन का प्रमुख केंद्र बनने के लिए एक व्यापक योजना तैयार की है. राज्य इस काम में निवेशकों और उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए उपयुक्त वातावरण बनाने के लिए काम कर रहा है. राज्य निवेशकों और उद्यमियों की अलग-अलग जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने तंत्र को मजबूत कर रहा है और उनकी सभी जरूरतों को एक ही स्थान पर पूरा करने की व्यवस्था की गई है. लक्षद्वीप में नौ बसे हुए द्वीपों को समुद्री शैवाल उत्पादन केंद्र घोषित किया गया है. इस केंद्र शासित प्रदेश में रिसर्च और विकास कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए CMFRI की मदद ली जा रही है.
ये भी पढ़ें: पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल दे सरकार, समिति ने की सिफारिश
प्राइमस पार्टनर्स के एमडी और रिपोर्ट के लेखक रामकृष्णन एम के अनुसार, समुद्री शैवाल की खेती टिकाऊ कृषि को दर्शाती है. यह न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की क्षमता रखती है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान कर सकती है. समुद्री शैवाल की खेती से समुद्र के इकोसिस्टम को भी मदद मिलती है, और यह एक प्राकृतिक समाधान दिलाती है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today