किसानों का विरोध प्रदर्शनकिसान मजदूर मोर्चा (इंडिया) ने आज यानी शुक्रवार को पूरे पंजाब में 26 जगहों पर रेल रोको का आह्वान किया है. पंजाब के 19 जिलों में 26 जगहों पर दोपहर 1:00 बजे से 3:00 बजे तक दो घंटे के रेल रोको विरोध प्रदर्शन की घोषणा की गई. इसे लेकर बड़ी तादाद में किसान रेलवे ट्रेक पर उतरे. इस विरोध प्रदर्शन का मकसद इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2025 के ड्राफ्ट को रद्द करना, प्रीपेड मीटर हटाना और पुराने मीटर फिर से लगाना, और भगवंत मान सरकार के सरकारी प्रॉपर्टी बेचने के फैसले का विरोध करना है.
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा, “हमने इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल के विरोध में इस रेल रोको का ऐलान किया है. हम प्री-पेड बिजली मीटर के भी खिलाफ हैं और हमारी मांग है कि उन्हें नहीं लगाया जाना चाहिए.”
इस पूरी घटना के बीच 'किसान तक' ने बिजली के मु्द्दे को समझने और जानने की कोशिश. इसके लिए पंजाब के किसानों, किसान नेताओं और मुद्दे की जानकारी रखने वाले एक्सपर्ट से बात की. यह बात इसलिए भी जरूरी थी क्योंकि पंजाब में किसानों के लिए 600 यूनिट बिजली फ्री है. पूरे देश में फ्री बिजली का रिकॉर्ड पंजाब के ही नाम है. फिर सवाल उठता है कि किसान बिजली बिल का विरोध क्यों कर रहे हैं?
इसके जवाब में संगरूर के वरिष्ठ पत्रकार और कृषि मुद्दे के विशेषज्ञ कुलवीर सिंह ने चार पॉइंट्स गिनाए. वे कहते हैं, किसानों को डर है कि बिजली का नया बिल आने से कहीं फ्री बिजली की सुविधा खत्म न हो जाए. किसान अभी तक 600 यूनिट बिजली मुफ्त ले रहे हैं. उन्हें डर है कि संशोधित बिजली बिल आने के बाद उन्हें बिल भरना पड़ सकता है.
किसानों का कहना है कि जब तीन कृषि कानून वापस हुए थे तो सरकार ने आश्वासन दिया था कि इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल लेकर नहीं आएंगे, लेकिन सरकार पिछले दरवाजे से नया कानून ला रही है. किसानों का मानना है कि नया बिजली कानून तीन कृषि कानूनों से भी खतरनाक है, इसलिए वे विरोध कर रहे हैं.
कुलवीर सिंह ने कहा, किसानों और किसान नेताओं को शंका है कि इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल के जरिये सरकार बिजली को कॉरपोरेट हाथों में सौंप देगी. अगर ऐसा हुआ तो फ्री बिजली की सुविधा बंद हो जाएगी या बिजली के रेट बेतहाशा बढ़ जाएंगे. किसान कॉरपोरेट के खिलाफ लड़ भी नहीं पाएंगे. अभी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करके वे अपनी बात मनवा लेते हैं, लेकिन कॉरपोरेट से वे ऐसा नहीं कर पाएंगे.
किसान नेता अवतार सिंह ने कहा, अभी तक पुराने मीटर लगे थे तो बिजली की टेंशन नहीं थी. नए मीटर के साथ चिंताएं बढ़ेंगी. नए मीटर में अगर समय से रिचार्ज नहीं कर पाए तो 12 बजे रात को बिजली कट जाएगी. इससे बड़े लोगों को नुकसान नहीं होगा क्योंकि वे तुरंत पैसा देकर इसे चालू करा लेंगे. मगर छोटे किसानों और मजदूरों की परेशानी बढ़ जाएगी. अगर उनकी बिजली अचानक कट जाए तो खेती का काम रुक जाएगा. जब बिजली बिल भरने का पैसा होगा तभी उनकी बिजली बहाल होगी. इसे देखते हुए किसान इस अमेंडमेंट बिल का विरोध कर रहे हैं.
पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के सूत्रों के मुताबिक, घरेलू सेक्टर में अभी भी प्री-पेड बिजली मीटर नहीं लगाए गए हैं, लेकिन प्लान लगभग तैयार है. सबसे पहले, मकसद सिर्फ सरकारी दफ्तरों में प्रीपेड बिजली मीटर लगाने से शुरुआत करना है. प्लान के मुताबिक, पोस्टपेड मीटर के लिए पहले से दिया गया सिक्योरिटी डिपॉजिट प्रीपेड मीटर में बदल दिया जाएगा.
जब प्रीपेड मीटर लग जाएंगे, तो कस्टमर अलग-अलग स्लैब के रिचार्ज के साथ इसे शुरू कर सकते हैं. केंद्र सरकार ने राज्यों से ये प्रीपेड मीटर लगवाने को कहा है क्योंकि ये मॉडर्न और सही हैं. किसान रेगुलर तौर पर सरकार के इस कदम का विरोध कर रहे हैं. साथ ही किसान आरोप लगा रहे हैं कि पंजाब में मान सरकार सरकारी प्रॉपर्टी बेचने का मकसद बना रही है.
दूसरी ओर, सरकार क कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल का मकसद पावर सेक्टर में कुछ सुधार करना है, जैसे ज्यादा लोगों या कंपनियों को लाइसेंस देना, डिस्ट्रीब्यूटर की आर्थिक सेहत सुधारना, बिजली बनाने की लागत को सही करना और बिजली के क्षेत्र में कॉम्पिटिशन बढ़ाना. सरकार मानती है कि इन कदमों से उपभोक्ताओं को फायदा होगा और उन्हें सस्ती बिजली मुहैया कराई जा सकेगी. हालांकि किसान और किसान नेता सरकार की इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते, इसलिए वे रेल रोको जैसे कदम उठा रहे हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today