
देश के प्रधानमंत्री जब सीधे देशवासियों से बात करें तो यह किसी भी देश की जनता के लिए एक खास और अहम पल होता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर महीने रेडियो के जरिए ये काम करते हैं. हर महीने के आखिरी रविवार को रेडियो पर पीएम मोदी का कार्यक्रम 'मन की बात' प्रसारित होता है और इस कार्यक्रम में वह देश और देश की जनता से जुड़े तमाम मुद्दों पर ना सिर्फ अपनी राय रखते हैं बल्कि देश और समाज के हित में काम करने वाले लोगों की तारीफ और सराहना भी करते हैं. इस दौरान कलाकारों से लेकर किसानों तक पीएम मोदी ने कई ऐसे लोगों को पहचान दिलाने का भी काम किया है जो चुपचाप बिना किसी हो-हल्ले के देश और समाज के लिए काम कर रहे हैं. बता दें कि साल 2014 से ही पीएम मोदी ने इस रेडियो कार्यक्रम की शुरुआत की थी.
अब यानी 30 अप्रैल को पीएम मोदी के इस कार्यक्रम 'मन की बात' के 100 एपिसोड पूरे हो रहे हैं. इस मौके पर आप जानिए उन किसानों की कहानी जिनकी तारीफ करने से पीएम मोदी भी खुद को रोक नहीं पाए थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक मन की बात कार्यक्रम में एक बार बाजरे की बढ़ती लोकप्रियता और इसका फायदा उठा रहे उद्यमियों के बारे में बात की थी. इस दौरान उन्होंने विशेष रूप से आंध्र प्रदेश के नंद्याल जिले के किसान केवी राम सुब्बा रेड्डी का उल्लेख किया. सुब्बा रेड्डी की कहानी ये है कि उन्होंने अपनी मां के हाथ से बने बाजरे की डिशेस से प्रेरित होकर अपने गांव में बाजरा प्रसंस्करण इकाई शुरू की. इसके लिए उन्होंने अपनी अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी भी छोड़ दी. पीएम नरेंद्र मोदी ने सुब्बा रेड्डी की न केवल इसलिए तारीफ की कि उन्होंने अपनी जमीन पर बाजरा प्रमुख रूप से लगाना शुरू किया, बल्कि अपने आसपास के लोगों के भी इसके फायदे के बारे में शिक्षित किया और उन तक बाजरे से जुड़े प्रोडक्ट आसानी से उपलब्ध कराए. इस कार्यक्रम के बाद सुब्बा रेड्डी की देश भर में चर्चा हुई.
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जिस नए कृषि कानून से अधिकतर किसानों को समस्या थी, उसी कृषि कानून की मदद से महाराष्ट्र के किसान जितेंद्र भोई को अपनी फसल का पैसा मिल पाया. जितेंद्र भोई ने मक्के की खेती की थी और सही दाम के लिए उन्होंने अपनी फ़सल व्यापारियों को बेचना, तय किया था. जिसके लिए उन्हें कुछ एडवांस भी मिला था यह कहकर कि बाकी का पैसा उन्हें 15 दिन में मिल जाएगा. लेकिन 15 दिन महीनों में बीत गए और पैसा नहीं मिला. तभी कृषि कानून उनके काम आए. इस क़ानून में तय किया गया है कि फ़सल ख़रीदने के तीन दिन में ही किसान को पूरा पेमेंट करना पड़ता है. और अगर पेमेंट नहीं होता है तो किसान शिकायत दर्ज कर सकता है. ऐसे में कृषि कानून कि मदद से जितेंद्र भोई को अपना पैसा मिल पाया. उनकी पूरी कहानी भी पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में बताई थी. इसके बाद से जितेंद्र भोई के इंटरव्यू तमाम मीडिया पब्लिकेशंस में प्रकाशित हुए.
तमिलनाडु के किसान थिरु के ने सब्सिडी पर अपने खेत में 10 हॉर्स पावर का सोलर पंप सेट लगवाया. अब उन्हें अपने खेत में बिजली के लिए कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ता है. वह खेत की सिंचाई से लेकर जुताई के लिए सरकार की बिजली सिंचाई पर निर्भर नहीं रहते हैं. उनकी खेती की लागत भी कम आ रही है. समय पर सिंचाई से फसल उत्पादन में भी वृद्धि हुई है. जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा भी मिल रहा है. थिरु के. की इस उपलब्धि को देखते हुए और दूसरे किसानों को इनके बारे में बताते हुए पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा था कि सभी किसानों को उनसे सीख लेनी चाहिए.
राजस्थान के भरतपुर निवासी कमलजी राणा ने अपने खेत में सोलर पंप लगवाए हैं. अब उन्हें अपनी फसलों की सिंचाई के लिए राजस्थान सरकार की बिजली आपूर्ति पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है. इससे खेती की लागत कम हुई है. लागत कम होने से मुनाफा बढ़ा है. इसके अलावा उन्होंने अन्य लघु उद्योगों को भी अपने सोलर पैनल से जोड़ा है. इसके साथ ही वह करीब 10-12 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. उनका जिक्र भी पीएम मोदी मन की बात कार्यक्रम में कर चुके हैं और उन्होंने कहा था कि ऐसे उदाहरण देखकर उन्हें काफी खुशी होती है.
हरियाणा के यमुनानगर में मधुमक्खी पालन का काम कर रहे सुभाष कंबोज अपने कामों की वजह से आज ना सिर्फ हरियाणा बल्कि पूरे देश में फेमस हो चुके हैं. सुभाष कंबोज की तारीफ खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. दरअसल सुभाष ने वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया है. जिसके बाद उन्होंने केवल छह बक्सों से अपना काम शुरू किया. लेकिन आज वह करीब दो हजार बक्सों में मधुमक्खी पालन का काम कर रहे हैं. इतना ही नहीं वह कई राज्यों में शहद सप्लाई का भी काम कर रहे हैं. पीएम मोदी ने उनकी तारीफ की तो देश भर में उनके नाम की चर्चा शुरू हो गई.
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