भारत में आम को ‘फलों का राजा’ कहा जाता है, और इसकी कई किस्में किसानों और आम व्यापारियों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं. लेकिन जब बात मुनाफे की होती है, तो तीन वैरायटी – आम्रपाली, दशहरी और अल्फांसो – सबसे ज्यादा चर्चा में रहती हैं. हर वैरायटी की अपनी खूबियां और कमियां होती हैं. इस कड़ी में हम इन तीनों किस्मों की तुलना करेंगे और समझेंगे कि खेती के लिहाज से कौन-सी सबसे फायदेमंद हो सकती है.
आम्रपाली आम दशहरी और नीलम आम का एक हाइब्रिड किस्म है. यह आकार में छोटा होता है लेकिन इसका स्वाद बहुत मीठा होता है और इसमें रेशे नहीं के बराबर होते हैं. इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके पेड़ बौने होते हैं, जिससे कम जगह में ज्यादा पौधे लगाए जा सकते हैं.
किसानों के लिए इसका फायदा यह है कि यह जल्दी फल देना शुरू करता है, लगभग 3-4 साल में, और जैविक खेती के लिए भी उपयुक्त है. हालांकि इसकी एक कमी यह है कि यह जल्दी खराब हो जाता है, जिससे दूर-दराज के बाजारों में भेजना थोड़ा मुश्किल होता है.
ये भी पढ़ें: सूखाग्रस्त इलाकों के लिए बेहतरीन हैं बासमती की ये 5 किस्में, कम पानी में देती हैं बंपर पैदावार
दशहरी आम उत्तर प्रदेश की एक प्रसिद्ध वैरायटी है, जो अपने लम्बे, पतले आकार और खास सुगंध के लिए जानी जाती है. इसका स्वाद बहुत मीठा और रसीला होता है, जिससे यह घरेलू और निर्यात बाजार दोनों में काफी पसंद किया जाता है.
यह वैरायटी 5-6 साल में फल देना शुरू करती है और अच्छी कीमत पर बिकती है. हालांकि, इसकी खेती में कीट और रोगों की रोकथाम के लिए थोड़ी ज्यादा देखभाल की आवश्यकता होती है.
ये भी पढ़ें: बिना किसी केमिकल खाद के करें आम की खेती, जानें ये ऑर्गेनिक तरीका
अल्फांसो आम को ‘आमों का राजा’ कहा जाता है, और यह महाराष्ट्र और कर्नाटक में सबसे ज्यादा उगाया जाता है. इसका रंग, सुगंध, गूदा और स्वाद इतना प्रीमियम होता है कि इसकी डिमांड अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बहुत ज्यादा है.
किसानों के लिए यह वैरायटी इसलिए फायदेमंद है क्योंकि इससे निर्यात में बहुत अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. हालांकि इसकी खेती में ज्यादा निवेश और देखभाल की जरूरत होती है, और यह सिर्फ खास जलवायु में ही अच्छा फल देता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today