KBC: कौन थे बाबा रामचंद्र जिन्होंने 1920 में बनाई थी किसान सभा, अंग्रेजों से लिया था लोहा

KBC: कौन थे बाबा रामचंद्र जिन्होंने 1920 में बनाई थी किसान सभा, अंग्रेजों से लिया था लोहा

बाबा रामचंद्र के बारे में सोनी टीवी के मशहूर शो “कौन बनेगा करोड़पति” (KBC) में जिक्र आया है. प्रोग्राम के एंकर अमिताभ बच्चन ने सवाल पूछा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान किसानों के अधिकारों की लड़ाई के लिए 1920 में बाबा रामचंद्र द्वारा किसान सभा की स्थापना कहां की गई थी?

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KBC: कौन थे बाबा रामचंद्र जिन्होंने 1920 में बनाई थी किसान सभा, अंग्रेजों से लिया था लोहाकौन थे बाबा रामचंद्र जिन्होंने 1920 में बनाई थी किसान सभा

इस देश में किसानों का सरकार से टकराने का इतिहास काफी पुराना रहा है. इतिहास बताता है कि अंग्रेजी सरकार ने कभी किसानों पर 143 तरीके के टैक्स लगा दिए थे. इन टैक्सों को वसूलने के लिए अंग्रेजों ने जमींदार-तालुकदारों को जिम्मेदारी दी थी. लेकिन ये लोग घोषित टैक्स से अधिक पैसे वसूलते थे जिसके खिलाफ किसानों में रोष रहता था. टैक्स की मार ऐसी थी कि गरीब किसानों की कमर टूट गई थी. किसानों पर हो रहे इस अत्याचार को देखते हुए 1920 में एक किसान सभा की स्थापना की गई थी जिसके पुरोधा थे बाबा रामचंद्र.

बाबा रामचंद्र के बारे में सोनी टीवी के मशहूर शो “कौन बनेगा करोड़पति” (KBC) में जिक्र आया है. प्रोग्राम के एंकर अमिताभ बच्चन ने सवाल पूछा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान किसानों के अधिकारों की लड़ाई के लिए 1920 में बाबा रामचंद्र द्वारा किसान सभा की स्थापना कहां की गई थी? इसका सही जवाब अवध है. अवध में ही किसान सभा की स्थापना की गई थी.

किसान सभा और बाबा रामचंद्र के बारे में

आइए आपको उस किसान सभा और बाबा रामचंद्र के बारे में बताते हैं. बाबा रामचंद्र मूलरूप से महाराष्ट्र के रहने वाले थे, लेकिन उन्होंने अवध क्षेत्र को ही अपनी कर्मभूमि बना ली थी. इतिहास बताता है कि उस समय अंग्रेजी सरकार आर्थिक तंगी का सामना कर रही थी और इसी सिलसिले में गरीब किसानों और लोगों पर अतिरिक्त टैक्स लगाकर अत्याचार कर रही थी. अपने खर्चों को पूरा करने के लिए उसने किसानों पर तरह-तरह के टैक्स लगा दिए थे. इससे किसानों को परेशानी होने लगी थी.

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इस परेशान किसानों की बात को बाबा रामचंद्र ने पकड़ा और उन्हें निजात दिलाने का प्रण लिया. इसके लिए जरूरी था किसानों को एकजुट करना. किसानों को एकजुट करने के लिए उन्होंने पूरे देश में अभियान चलाया. इसी क्रम में उन्होंने किसानों से कहा कि यही सही समय है कि किसान एकजुट हों क्योंकि अंग्रेज आर्थिक रूप से कमजोर हैं. उनका मानना था कि पूरी ताकत के साथ हमला कर अंग्रेजों को देश से भगा देना चाहिए. हालांकि देश के किसानों का पूरा धड़ा एक साथ नहीं था क्योंकि कई बातों को लेकर उनमें मतभेद थे. किसान नेताओं में मतभेद बढ़ने के कारण बाबा रामचंद्र ने अपना अलग संगठन 'अवध किसान आंदोलन' के नाम से बना लिया था. इसी अवध के किसान सभा का सवाल केबीसी के प्रोग्राम में पूछा गया है.

आंदोलन को ऐसे किया गया था खड़ा

इस किसान सभा की स्थापना अवध में की गई थी. इस स्थापना के बाद अवध के आसपास के इलाकों में किसान आंदोलन फैलता गया. इस किसान आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए बाबा रामचंद्र रामायण पाठ का आयोजन करते थे और जगह-जगह सत्यनारायण व्रत कथा का आयोजन कराते थे. वहां किसान आकर यह शपथ लेते थे कि अगर टैक्स न दे पाने के कारण तालुकदार किसी किसान पर अत्याचार करते हैं तो वे ऐसे खेतों में काम नहीं करेंगे. एक तरह से अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया गया था. इस तरीके को अपनाकर बाबा रामचंद्र और किसानों ने तालुकदारों, जमींदारों और अंग्रेजों का विरोध किया था. 

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