Italy: सूख रही है इटली की सबसे बड़ी नदी, खेती और खाने पर छाया संकट, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Italy: सूख रही है इटली की सबसे बड़ी नदी, खेती और खाने पर छाया संकट, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

ये कहानी है एक नदी के तालाब बन जाने की. ये कहानी है ऐसी नदी की जो लाखों लोगों के लिए लाइफलाइन है. ये कहानी उस नदी की है जिसमें बड़े-बड़े क्रूज मस्ती के साथ गुजरते थे. मगर आज हालात तालाब और नहर जैसे हो गए हैं. वजह है ग्लोबल वॉर्मिंग और क्लाइमेट चेंज.

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Italy: सूख रही है इटली की सबसे बड़ी नदी, खेती छोड़ रहे किसान, पढ़ें पूरी रिपोर्टइटली की पो नदी का जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है (फोटो-India Toda/AP)

अगर कोई विशाल नदी, तालाब में तब्दील हो जाए, उसके दोनों तीर सिमट कर नहर जैसे दिखने लगें, पानी की धार सोते की तरह कुंद पड़ जाए तो इसे क्या कहेंगे. कुछ ऐसा ही सवाल इटली के लोग आजकल एक-दूसरे से पूछ रहे हैं. सवाल भी इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि वहां की सबसे लंबी और सबसे खूबसूरत नदी का दायरा इतना सिमट गया है कि उसे पहचानना मुश्किल है. इस नदी का नाम है पो. 
इस गर्मी में यह नदी इतनी सूख गई है कि कहीं-कहीं उथला पानी भी नहीं बचा. जिस नदी में पहले भारी-भरकम स्टीमर गुजर सकते थे. जिस नदी में एक से एक हसीन क्रूज चला करते थे, उसे अभी पैदल पार करने की नौबत आ गई है. आखिर इससे बड़ी बात क्या हो सकती है. जानकार बताते हैं कि कभी हंसती हुई पो नदी आज इसलिए रो पड़ी है, क्योंकि उसके स्रोत ने ही उसे धोखा दे दिया है. ये स्रोत है बर्फ जो पिघल कर नदी को पानी देता है. और इस सबके बीच मुश्किलों का सामना कर रहे हैं इटली के किसान, जिनके लिए पो नदी सिंचाई का मुख्य स्रोत भी रही है.

तालाब क्यों बन गई ये नदी

आइए अब इस नदी की बिगड़ी हुई दशा के बारे में जान लेते हैं. कैप्टन गुलियानो लैंडिनी क्रूज जहाज चलाते हैं. उनका पो नदी से रोटी-बेटी का नाता है क्योंकि इससे उनकी कमाई होती है. उनका घर-परिवार चलता है. लैंडिनी जिस क्रूज को चलाते हैं वह 196 मीटर लंबा है. इस क्रूज में एक साथ 400 लोग सफर कर लेते हैं. आपको सुनकर ताज्जुब होगा कि यह वही क्रूज है जो कभी पो नदी में हाहकारा मार कर चला था. लेकिन आज हालात उलटे हैं. क्रूज आज अनाथ की तरह खड़ा हो गया है और उसके कैप्टन लैंडिनी लाचारी में पो नदी को देख रहे हैं.

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इस नदी की रोती हुई स्थिति जानने के लिए आप AP न्यूज एजेंसी की जारी की गई तस्वीरें देख सकते हैं. आपको भरोसा नहीं होगा कि इटली की लाइफलाइन कही जाने वाली पो नदी आज किस भयावह दशा से जूझ रही है. इस महीने तो हालात और भी खराब हो गए हैं. AP की रिपोर्ट बताती है, इस अप्रैल में पो नदी का पानी पिछले 30 साल से सबसे कम हो गया है. यहां तक कि नदी की धार भी तिहाई तक गिर गई है.

पो नदी को बर्फ ने दगा दिया

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आसपास के आल्प्स इलाके में भारी सूखा पड़ा है. ठंड भी गर्मी की तरह रही और कोई बर्फबारी नहीं देखी गई. बर्फ नहीं गिरने से पो नदी का स्रोत घट गया, उसका रिजर्व ही एक तरह से सूख गया. इस बर्फबारी से केवल इटली की पो ही आबाद नहीं होती है बल्कि पश्चिमी यूरोप की कई सहायक नदियां आल्प्स की बर्फबारी से पानी लेती हैं. अब इन सारी नदियों के अस्तित्व पर खतरा है. लिहाजा खतरा कई लोगों के लिए पेयजल और बिजली की सप्लाई का भी है.

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आखिर बर्फ की इतनी घोर कमी क्यों हो गई? इसके बारे में इटली के ही पर्यावरणविद् फ्लेवियो रूफिनी कहते हैं, इस इलाके में कभी बर्फ से ढंकी रहने वाली चोटियां और झीलें अपने एवरेज लेवल से 30 फीसद गिरावट में चली गई हैं. इन झीलों और चोटियों में बर्फ का स्तर 75 फीसद तक गिर गया है. बोल्जानो की अल्पाइन झील में इस सीजन में औसतन 26 मिलियन गैलन पानी स्टोर रहता है. लेकिन अभी यह घटकर 11 मिलियन गैलन पर गिर गया है.

ग्लोबल वॉर्मिंग ने सुखा दिया पानी

इस खतरनाक स्थिति की वजह क्लाइमेट चेंज है जिसके बारे में आजकल बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं. क्लाइमेट चेंज से पर्यावरण में गर्मी बढ़ी है. इससे अधिक से अधिक पानी भाप बनकर उड़ जा रहा है. इसी क्लाइमेट चेंज की वजह से सूखे की मियाद लंबी हो गई है. बार-बार सूखा आ रहा है. उस सूखे का असर भी अपने रौद्र रूप में दिख रहा है. इटली की पो नदी भी इसी क्लाइमेंट चेंज की मार झेल रही है. यह क्लाइमेट चेंज वही है जिसे देश-दुनिया की आम जनता ने अपनी करतूतों से खड़ा किया है. और इसकी सबसे बड़ी शिकार बनी है खेती.

खेती और खाने पर संकट

पो नदी सूखने की वजह से इटली में बड़े पैमाने पर खेती-किसानी प्रभावित हुई है. पो नदी इटली के किसानों के लिए सिंचाई का प्रमुख स्रोत है. ऐसी स्थिति में जब पो नदी का 75% से ज्यादा पानी सूख चुका है, किसानों के लिए स्थिति सूखे जैसी हो गई है. सूखे की वजह से किसान सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक गेहूं का उत्पादन 20 से 50 प्रतिशत तक घट गया है. वहीं चावल और टमाटर की उपज पर भी इसका काफी असर हो रहा है.

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