मुर्गी-बत्तख, भेड़-बकरी, गाय-भैस हो या मछली पालन, अगर इसकी शुरुआत करने से पहले किसी भी तरह की जानकारी या फिर ट्रेनिंग नहीं ली गई है तो यह नुकसानदायक हो सकता है. मछली पालन करने वालों के लिए भी पहले ट्रेनिंग लेना बेहद जरूरी है. केन्द्र सरकार के बड़े संस्थान और राज्यों के अपने-अपने संस्थान मछली पालकों को ट्रेनिंग देने का काम कर रहे हैं. खासतौर पर मछलियों को बीमारी से बचाने के लिए उपाय अपनाने की जानकारी होना बहुत जरूरी है. तालाब में समय-समय पर पानी कैसा रहेगा यह जानना भी बहुत जरूरी है.
अब उत्तर भारत के कई राज्यों और शहरों में बड़े पैमाने पर मछली पालन होने लगा है. खेती के लायक नहीं बचे बंजर खेतों में तालाब बनाकर मछली पालन किया जा रहा है. इससे स्थानीय मार्केट की डिमांड पूरी करने के साथ ही आसपास के शहरों में भी मछली सप्लाई की जा रही हैं. इस तरह की जमीन पर झींगा पालन का चलन भी बढ़ रहा है.
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फिश एक्सपर्ट और मछलियों के डॉक्टर मनोज शर्मा ने किसान तक को बताया कि मछलियों में सबसे ज्यादा बीमारी पानी में से पनपती हैं. अगर मछलियों को सामान्य बीमारी भी होगी तो उसकी वजह पानी ही होगा. अगर गर्मी के मौसम में तालाब का पानी ज्यादा गर्म हो गया तो मछली बीमार हो जाएंगी. पानी ठंडा ज्यादा हो गया तो मछली बीमार हो जाएंगी. और अगर बरसात के दौरान तालाब का पानी प्रदूषित हो गया तो और ज्यादा खतरनाक हालात पैदा हो जाते हैं. सबसे बड़ी परेशानी ये भी है कि तालाब में अगर एक मछली को बीमारी जकड़ती है तो दूसरी मछलियां भी उसकी चपेट में आ जाती हैं.
केन्द्रीय मत्स्यिकी शिक्षा संस्थान, काकीनाडा
केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान साल्टेक,कोलकाता
सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टिट्यूट बैरकपुर, कोलकता
केन्द्रीय मात्सियकी शिक्षा संस्थान, पावरखेडा
कॉलेज ऑफ़ फिशरीज पंतनगर
केन्द्रीय मीठा जल जीवनयापन अनुसंधान संस्थान कौशल्यागंगा, (भुवनेश्वर)
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मत्स्य प्रशिक्षण एवं प्रसार केंद्र, मीठापुर पटना
आई.सी.ए.आर. पटना केंद्र
कॉलेज ऑफ़ फिशरीज, ढोली मुजफ्फरपुर
कॉलेज ऑफ़ फिशरीज किशनगंज
यूपी- यूपी के सभी जिलों में संबंधित विभाग द्वारा ट्रेनिंग दी जाती है.
मछली पालन को बढ़ावा देने और किसानों की आय दोगुनी करने के मकसद से केन्द्र सरकार ने एक ऐप जारी किया है. ऐप को मत्स्य दो सेतु नाम दिया गया है. ऐप को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर ने तैयार किया है. ऐप में मछली पालकों के लिए मछली पालन से जुड़ी तमाम तरह तकनीक की जानकारी दी गई हैं. नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड ने इसके लिए मदद दी है. मछली पालन के संबंध में ऑनलाइन स्टडी एप का मकसद देश के किसानों के बीच मछली पालन में मीठे पानी का इस्तेमाल करना है. एप की मदद से किसान खुद मछली पालन के बारे में सीख सकेंगे और यह बिल्कुल फ्री होगा.
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