भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने खुले बाजार में गेहूं की रिकॉर्ड बिक्री से जबरदस्त मुनाफा हासिल कर सरकार का फूड सब्सिडी खर्च 20 हजार करोड़ रुपये कम किया है. जबकि, केंद्र ने जरूरी सब्सिडी खर्च से कम एफसीआई को दिया था. लेकिन, एफसीआई ने वित्त वर्ष 2023-24 में ओपेन मार्केट में 10 मिलियन टन गेहूं की रिकॉर्ड बिक्री की. इससे हासिल मुनाफे से एफसीआई को अपना खर्च पूरा करने में मदद मिली और केंद्र की रकम बच गई.
रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 में 2.12 ट्रिलियन रुपये (2.12 लाख करोड़ रुपये) की कुल खाद्य सब्सिडी में से 1.4 ट्रिलियन रुपये (1.40 लाख करोड़ रुपये) FCI को भेजे गए थे. यर रकम एफसीआई के एक्चुअल खर्च 1.6 ट्रिलियन रुपये (1.60 लाख करोड़ रुपये) से कम था. ऐसे में खुले बाजार में गेहूं बिक्री से जबरदस्त मुनाफा हासिल करने के चलते यह रकम पूरी हो सकी. एफसीआई ने खुले बाजार में गेहूं की नीलामी से 111 रुपये प्रति क्विंटल का मुनाफा हासिल किया है और एफसीआई ने ओपेन मार्केट में 10 मिलियन टन 1 करोड़ टन गेहूं की बिक्री की है.
वित्त मंत्रालय की ओर से सब्सिडी खर्च की रकम जल्दी भुगतान से एफसीआई को ब्याज भुगतान के लगभग 372 करोड़ रुपये बचाने में मदद मिली है. क्योंकि, पहले के वर्षों में फंड जारी होने में देरी होती थी और एफसीआई को शॉर्ट टर्म लोन पड़ता था. आटा और गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एफसीआई ने पिछले वित्तीय वर्ष में मिलों और अन्य थोक खरीदारों को वीकली ई-नीलामी से 2023-2024 मार्केटिंग सीजन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2125 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले 2236 रुपये प्रति क्विंटल कीमत पर गेहूं बेचा था. इस तरह से एफसीआई ने प्रति क्विंटल करीब 111 रुपये मुनाफा हासिल किया.
एफसीआई सरकारी योजनाओं की आपूर्ति के लिए खाद्यान्न खरीद और वितरण के लिए नोडल एजेंसी है. एफसीआई मुफ्त राशन योजना के लिए खाद्यान्न आपूर्ति के लिए जिम्मेदार है. पीएमजीकेएवाई मुफ्त राशन योजना के लिए एफसीआई 186 लाख टन गेहूं की आपूर्ति सालाना करता है. एफसीआई के लिए गेहूं की लागत दो साल पहले 24.67 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 2023-24 में 27.09 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है.
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