गुड़ की पहचान या उसकी खासियत सिर्फ उसका मीठा होना ही नहीं है. गुड़ पाचन क्रिया में बहुत मददगार होता है. इतना ही नहीं गुड़ न्यूट्रिशन का भी खजाना है. गुड़ में कैल्शियम और आयरन बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं. इतना ही नहीं विटामिन और मिनरल्स की मात्रा भी बहुत होती है. लेकिन शुगर और सुक्रोज कम होती है. इस सब का फायदा लेने के लिए यह बहुत जरूरी है कि गुड़ कुछ खास बातों का ध्यारन में रखकर बनाया गया हो.
हालांकि गुड़ बनाना कोई रॉकेट साइंस नहीं है, लेकिन फिर भी अगर कुछ छोटी-छोटी लेकिन बड़े ही काम की बातों पर अमल किया जाए तो एक्सपोर्ट क्वालिटी का गुड़ बहुत ही कम संसाधन में छोटी सी जगह पर ही तैयार किया जा सकता है. यह कहना है पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) के प्रोसेसिंग डिपार्टमेंट में प्रोफेसर डॉ. महेश का. उनका कहना है कि पंजाब में आज की तारीख में करीब 1200 यूनिट गुड़ बनाने का काम कर रही हैं.
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प्रोफेसर डॉ. महेश ने किसान तक से बातचीत में बताया कि गुड़ के लिए जिस गन्ने की जरूरत होती है उसकी जांच खेत से ही शुरू हो जानी चाहिए. जैसे गुड़ के लिए ना तो कम पकी गन्ने की फसल की जरूरत है और ना ही ज्यादा पकी. यह जानने के लिए बाजार में एक हजार से 12 सौ रुपये तक का एक ब्रिक्स मीटर आता है. इस मीटर पर गन्ने के रस की कुछ बूंदें डालिए. रस डालते ही मीटर पर आपको आसमानी और सफेद रंग दिखाई देगा. इसके साथ ही अगर मीटर रस की वैल्यू 20 या उससे ज्यादा बता रहा है तो समझिए कि इस गन्ने का रस गुड़ के लिए सबसे बेहतर है.
एक और खास बात यह कि जब खेत से गन्ने को लाएं तो उसे खुले में यानि धूप में न रखें. इससे हर एक घंटे पर गन्ने में से दो फीसद सुक्रोज का लॉस होता है. यह गुड़ के लिए नुकसानदायक होता है. इसलिए बेहतर यही होगा कि हम खेत से लाए गए गन्ने को काटने के 24 घंटे के अंदर ही रस बनाने में इस्तेमाल कर लें.
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डॉ. महेश ने बताया कि गन्ने का रस निकालने के बाद उसमे मौजूद सुक्रोज को ग्लूकोज और फ्लोक्टोज में न बदलने दें. इसके लिए फिटकरी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके लिए मीटर से पीएच की जांच भी की जा सकती है. जांच के दौरान यह ख्याल रखें कि रस की पीएच वैल्यू 6.4 से 6.8 होनी चाहिए. रस को पकाने के दौरान भी बहुत ही एहतियात बरतने की जरूरत होती है. जैसे यह पता करना कि रस गुड़ के लायक पूरी तरह से पका है या नहीं.
हालांकि अभी तक लोग अपने अंदाज से इसका पता लगा लेते हैं. लेकिन यह तरीका सही नहीं है. अब बाजार में कई तरह के मीटर मौजूद हैं. अगर मीटर पके हुए रस का तापमान 114 डिग्री बताता है तो जान लिजिए कि रस गुड़ बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है. ध्यान रहे कि चीनी के लिए रस का तापमान 121 डिग्री चाहिए होता है.
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