भारत को पाम ऑयल निर्यात करने वाले मलेशिया में तेल भंडार में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है, जिसके बाद भारत में पाम ऑयल की मांग के अनुरूप उपलब्धता प्रभावित होने की आशंका है. पाम ऑयल का इस्तेमाल भारत समेत दुनियाभर के 50 फीसदी उत्पादों में किया जाता है. यह तेल किचेन से लेकर बाथरूम में इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट में होने के चलते इसकी मांग बहुत है.
भारत के लिए मलेशिया पाम ऑयल के सबसे बड़े निर्यातकों में शामिल है. हालांकि, पाम ऑयल की खरीद के लिए भारत इंडोनेशिया से भी खरीद करता है. आंकड़े बताते हैं कि भारत सालाना आधार पर करीब 95 लाख टन से ज्यादा पाम आयल खरीद करता है. इसमें से करीब 40 फीसदी ऑयल मलेशिया देता है. बाकी तेल खरीद इंडोनेशिया व अन्य देशों से की जाती है.
पाम ऑयल अन्य तेलों की तुलना में काफी सस्ता होता है. जबकि, इस तेल का इस्तेमाल अन्य तेलों की तुलना में अधिक उत्पादों में किया जाता है. यही वजह है कि इस तेल की मांग दुनियाभर में होती है और करीब 50 फीसदी उत्पादों में पाम ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है. खाना बनाने, चॉकलेट, विटामिन की दवाएं, मेकअप प्रोडक्टन, टूथपेस्ट, नहाने के साबुन, शैंपू समेत कई तरह के रोजाना इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट में पाम ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है.
मलेशिया के पाम ऑयल भंडार में आई गिरावट ने भारत के आयातकों को थोड़ा चिंतित कर दिया है. मलेशियाई पाम ऑयल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर 2023 के अंत तक स्टॉक में एक महीने में 4.64% की गिरावट आई है और यह अगस्त के बाद से सबसे निचले स्तर 2.29 मिलियन मीट्रिक टन पर पहुंच गया है. पिछले महीने क्रूड पाम ऑयल के भंडार में भी 13.31% की भारी गिरावट आई, जो कुल 1.55 मिलियन मीट्रिक टन थी.
मलेशिया के पाम ऑयल भंडार में गिरावट का रुझान जारी रहता है तो आने वाले महीनों में खाद्य तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं. पिछले सप्ताह से पाम ऑयल के वायदा भाव में तेजी आई है. अगर यह गिरावट जनवरी 2024 महीने में भी जारी रही तो पाम तेल की कीमतों में भी तेजी आ सकती है. इसका असर खाद्य तेल के साथ रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं की कीमतों पर भी दिख सकता है.
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