जैतून अंडे जैसे आकार का एक फल होता है. भारत में इसकी खेती व्यापारिक फसल के तौर पर की जाती है. इसकी खेती से किसानों को बेहद कम समय में अच्छी आमदनी होने लगती है. जैतून के फलों को प्रोसेसिंग करके तेल और दूसरे प्रॉडक्ट्स बनाये जाते हैं, जिसके चलते दुनिया भर में इसकी काफी मांग रहती है. इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल तेल बनाने में किया जाता है. बता दें कि जैतून के तेल का इस्तेमाल खाना बनाने में, ब्यूटी प्रॉडक्ट्स और दवाइयां बनाने में भी किया जाता है.
वहीं इसके तेल में कोलेस्ट्रॉल की काफी कम मात्रा होती है, जिस कारण पूरी दुनिया जैतून के तेल की दीवानी है. साथ ही जैतून फल का इस्तेमाल स्वादिष्ट व्यंजन बनाने में भी किया जाता है.
अगर आप किसान हैं और किसी फसल की खेती करना चाहते हैं तो आप जैतून की कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं. इन उन्नत किस्मों में कोराटीना, कोरोनिकी, बरनिया, अर्बेक्विना और एथिनोलिया किस्में शामिल हैं. इन किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
जैतून की कोराटीना किस्म के प्रत्येक पौधे से किसान 10-15 किलोग्राम की पैदावार ले सकते हैं. इसमें तेल की मात्रा 22-24 प्रतिशत होती है. इस किस्म का फल देखने में बैंगनी और मध्यम आकार का होता है. यह किस्म अनियमित पैदावार देने के लिए जानी जाती है.
जैतून की इस किस्म से काफी अच्छी पैदावार ली जा सकती है. इसके एक पौधे से करीब 20 से 25 किलो जैतून मिलता है. इसका फल मध्यम आकार और पकने के बाद बैंगनी रंग का होता है.
जैतून की इस किस्म में तेल की 26 फीसदी मात्रा होती है. वहीं इसके हर पौधे से 15-20 किलो की उपज होती है. देर से पकने वाली इस किस्म का फल आकार में मध्यम और गोलाकार होता है. पकने के बाद उसका फल बैंगनी रंग का हो जाता है.
इस किस्म का फल अधिक वजनदार और बड़े आकार का होता है जो पकने के बाद बैंगनी रंग का दिखाई देता है. वहीं इस किस्म के प्रति पौधे से सात से 10 किलो की पैदावार होती है. इसके फल में 10 से 17 प्रतिशत तेल की मात्रा पाई जाती है.
यह विशेष किस्म धीरे-धीरे पकती है और दिसंबर के अंत से जनवरी की शुरुआत तक काटी जाती है. इसके फल मध्यम आकार के होते हैं. एथिनोलिया का तेल कम अम्लता के साथ उत्कृष्ट क्वालिटी वाला होता है.
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