यूरिया इकाइयों पर प्रति टन फिक्स्ड कॉस्टउर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने शुक्रवार को संसद में बताया कि केंद्र सरकार वित्त मंत्रालय में चीफ एडवाइजर (कॉस्ट) की एक रिपोर्ट की जांच कर रही है. इसमें कुछ पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (PSUs) और कोऑपरेटिव यूरिया यूनिट्स के लिए प्रति टन ₹2,300 की मिनिमम फिक्स्ड कॉस्ट को फिर से लागू करने की बात कही गई है. अनुप्रिया पटेल ने कहा कि चीफ एडवाइजर (कॉस्ट) की रिपोर्ट डिपार्टमेंट को मिल गई है, जिसकी अभी जांच चल रही है.
दरअसल, बीजेपी सांसद परशोत्तमभाई रूपाला ने मॉडिफाइड न्यू प्राइसिंग स्कीम-III (NPS-III) के तहत इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक टाइमलाइन पूछी थी, अनुप्रिया पटेल ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि फर्टिलाइजर डिपार्टमेंट ने एक्सपेंडिचर फाइनेंस कमेटी (EFC) की टिप्पणियों के बाद एक्सपेंडिचर डिपार्टमेंट से संपर्क किया था. उन्होंने लोकसभा में अपने लिखित जवाब में कहा कि EFC ने कॉस्टिंग से जुड़े मामलों को जांच और सिफारिशों के लिए चीफ एडवाइजर (कॉस्ट) के पास भेजने की सिफारिश की थी. इसके मुताबिक, डिपार्टमेंट ने 2 अप्रैल, 2014 से पिछली तारीख से ₹2,300 प्रति मीट्रिक टन (MT) के प्रोविज़न को फिर से लागू करने की जांच करने का अनुरोध किया था. बता दें कि पिछले 6-7 सालों से किसानों को यूरिया की उपलब्धता को लेकर लगातार संघर्ष करना पड़ रहा है. ऐसे में सरकार के लिए यूरिया का दाम और इसकी उपलब्धता बनाए रखना अब बड़ी चुनौती बनता जा रहा है.
बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे के दौरान बड़ा ऐलान हुआ है. भारत और रूस अब एकसाथ मिलकर यूरिया बनाएंगे. इसको लेकर कुछ चुनिंदा भारतीय कंपनियां और रूस की टॉप पोटाश और अमोनियम नाइट्रेट बनाने वाली कंपनी यूरलकेम ग्रुप ने एक अहम डील साइन की है, जिसके तहत रूस में एक बड़ा यूरिया प्लांट लगाया जाएगा. भारत ने मार्च में खत्म हुए 2024-25 वित्तीय वर्ष में 5.6 मिलियन मीट्रिक टन यूरिया इम्पोर्ट किया है.
2020-21 में तो ये आयात लगभग 9.8 मिलियन टन तक पहुंच गया था. हालांकि यूरिया को लेकर अब घरेलू कैपेसिटी बढ़ी और सोर्सिंग पैटर्न में बदलाव आया है तो थोड़ा आयात कम हो पाया. लेकिन अभी भी भारत ओमान, कतर, सऊदी अरब और यूनाइटेड अरब अमीरात से बड़ी मात्रा में यूरिया इंपोर्ट करता है और अप्रैल-अक्टूबर 2025 में भारत ने 5.9 मिलियन टन एग्रीकल्चर ग्रेड यूरिया इंपोर्ट किया, जो एक साल पहले के लगभग 2.5 मिलियन टन से ज़्यादा रहा.
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