रूस की मिट्टीरूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दो दिवसीय दौरे पर हैं. इस दौरे में दोनों देशों के बीच कई समझौतों का आदान-प्रदान किया गया, जिसमें खेती-किसानी से जुड़े मामलों पर भी वार्ता की गई. इसमें खाद्य सुरक्षा और उर्वरकों पर समझौता हुआ. बता दें कि कृषि के मामले में भी रूस की दोस्ती भारत के लिए कई तरह से फायदेमंद रही है. भारत रूस से कई सामान एक्सपोर्ट करता है, तो कुछ इंपोर्ट भी करता है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर रूस में खेती के लिए कौन सी मिट्टी बेस्ट है, जो वहां की फसल उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. आइए जानते हैं.
रूस के आकार को देखते हुए, यहां मिट्टी की कई किस्में पाई जाती हैं, लेकिन यहां मुख्य तौर पर काली मिट्टी पाई जाती है. काली मिट्टी के साथ ही 7 अन्य प्रकार की मिट्टी यहां अधिक मात्रा में पाई जाती है, जो खेती के योग्य हैं. इसमें आर्कटिक मिट्टी, ग्ले-टुंड्रा मिट्टी, चेस्टनट मिट्टी, पॉडजोलिक मिट्टी, ग्रे वन मिट्टी, ग्रे-भूरी और भूरी मिट्टी, सोड-पॉडजोलिक मिट्टी शामिल हैं.
रूस की काली मिट्टी (चेर्नोज़ेम) दुनिया की सबसे उपजाऊ मिट्टियों में से एक है, जो गहरे काले रंग, ह्यूमस और पोषक तत्वों (फास्फोरस, अमोनिया, लोहा, चूना, पोटाश, मैग्नीशियम) से भरपूर होती है. ये मिट्टी अपनी उच्च जल धारण क्षमता के लिए जानी जाती है, जो इसे गेहूं, सूरजमुखी और अन्य फसलों के उत्पादन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है, खासकर रूसी स्टेपी क्षेत्रों में. ये मिट्टी गहरे काले रंग की होती है और बहुत महीन कणों वाली, भुरभुरी होती है, जो इसे हवादार बनाती है.
1. अत्यधिक उपजाऊ: इसकी उच्च उर्वरता के कारण यह अलग-अलग प्रकार की फसलों के लिए बहुत उपयुक्त है और बंपर उपज देती है.
2. जल धारण क्षमता: रूस की काली मिट्टी पानी को अच्छी तरह सोखकर रखती है और धीरे-धीरे छोड़ती है, जिससे सूखे की स्थिति में भी फसलें जीवित रहती हैं.
3. काली मिट्टी उत्पत्ति: रूस की काली मिट्टी का निर्माण ज्वालामुखी विस्फोटों के लावा के जमने और घास के मैदानों में वनस्पति के टूटने से होता है, जिससे यह ह्यूमस से समृद्ध होती है.
4. खाद्य सुरक्षा: रूस के काली मिट्टी वाले क्षेत्र (चेर्नोज़ेम) दुनिया की खाद्य आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं, खासकर गेहूं और तिलहन फसलों के लिए. ये मिट्टी कपास जौ, सूरजमुखी, मक्का और कई सब्जियों और दालों की खेती के लिए बेस्ट है.
5. जलवायु परिवर्तन में भूमिका: यह मिट्टी कार्बनिक कार्बन (SOC) का एक बड़ा भंडार है और जलवायु परिवर्तन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
उर्वरकों पर समझौते के तहत तय हुआ है कि भारत और रूस संयुक्त रूप से यूरिया का उत्पादन करेंगे. भारत रूस से बड़े पैमाने पर यूरिया आयात करता है. इस समझौते से भारत अब रूस के साथ मिलकर यूरिया का उत्पादन भी करेगा. रूस ने भारत को क्या-क्या भेजा अगर इसपर नजर डालें तो रूस से तेल और पेट्रोलियम उत्पाद, उर्वरक, मशीनरी और उपकरण, लकड़ी, पल्प और पेपर उत्पाद, वनस्पति तेल आदि शामिल हैं.
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