AI मौसम पूर्वानुमान से बड़ा फायदा, 13 राज्यों के किसानों ने ऐसे किया बदलाव, कृषि मंत्री ने बताया

AI मौसम पूर्वानुमान से बड़ा फायदा, 13 राज्यों के किसानों ने ऐसे किया बदलाव, कृषि मंत्री ने बताया

13 राज्यों के किसानों ने खरीफ सीजन में AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद से मॉनसून की जानकारी लेकर अपनी खेती में बदलाव करते हुए फसलों की रोपाई किए थे. आंकड़ों के अनुसार आधे से अधिक किसानों ने खरीफ सीजन 2025 के दौरान अपने रोपाई के निर्णयों को नई परिस्थिति के अनुसार ढाला.

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AI मौसम पूर्वानुमान से बड़ा फायदा, 13 राज्यों के किसानों ने ऐसे किया बदलाव, कृषि मंत्री ने बतायाAI मौसम पूर्वानुमान से किसानों को फायदा

खेती-किसानी में किसान आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल मुख्य तौर पर करने लगे हैं. इस बीच, शीतकालीन सत्र में एक आंकड़ा पेश किया गया है कि 13 राज्यों के किसानों ने खरीफ सीजन में AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद से मॉनसून की जानकारी लेकर अपनी खेती में बदलाव करते हुए फसलों की रोपाई किए थे. आंकड़ों के अनुसार आधे से अधिक किसानों ने खरीफ सीजन 2025 के दौरान अपने रोपाई के निर्णयों को नई परिस्थिति के अनुसार ढाला. यह जानकारी केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को राज्यसभा में दी.

AI से 13 राज्यों के किसानों को फायदा

एक प्रश्न के उत्तर में शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि खरीफ सीजन 2025 के लिए भारत के 13 राज्यों के कुछ हिस्सों में मौसम को लेकर एआई-आधारित पायलट प्रोजेक्ट आयोजित किया गया था. इसमें केवल मॉनसून की स्थानीय शुरुआत की भविष्यवाणी की गई थी, जो फसलों की बुवाई की तारीख तय करने के लिए जरूरी है. इस दौरान एम-किसान पोर्टल के माध्यम से 13 राज्यों के 3,88,45,214 किसानों को हिंदी, ओडिया, मराठी, बांग्ला और पंजाबी भाषाओं में स्थानीय मॉनसून के आगमन के पूर्वानुमान संबंधी परामर्श एसएमएस के माध्यम से भेजे गए.

किसानों ने फसल रोपाई में किया बदलाव

कृषि मंत्री ने बताया कि मध्य प्रदेश और बिहार में पूर्वानुमान संदेश भेजे जाने के बाद किसान कॉल सेंटरों के माध्यम से किसानों से टेलीफोन पर सर्वेक्षण किए गए. सर्वेक्षण से पता चला कि 31-52 प्रतिशत किसानों ने मुख्य रूप से भूमि की तैयारी और बुवाई के समय में बदलाव करके, जिसमें फसल और इनपुट का चुनाव भी शामिल था, अपने रोपाई में बदलाव किया.

फ्री ओपन-सोर्स मॉडल का उपयोग

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के 125 वर्षों के ऐतिहासिक बारिश वाले आंकड़ों पर आधारित कृत्रिम बुद्धिमत्ता पूर्वानुमान प्रणाली (एआईएफएस) विकसित करने के लिए एक फ्री उपलब्ध ओपन-सोर्स मॉडल का उपयोग किया गया. यह पायलट परियोजना आईएमडी और डेवलपमेंट इनोवेशन लैब-इंडिया के सहयोग से फ्री में चलाई गई.

एक ओपन-सोर्स मिश्रित मॉडल का उपयोग किया गया, जिसमें न्यूरलजीसीएम, यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट्स (ईसीएमडब्ल्यूएफ) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फोरकास्टिंग सिस्टम, और आईएमडी के 125 वर्षों के ऐतिहासिक बारिश वाले डेटा शामिल थे.

"AI की मदद से बढ़ा फसल उत्पादन"

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने कहा कि सरकार ने फसल उत्पादकता और किसानों की आजीविका में सुधार लाने AI का उपयोग किया. उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र की अलग-अलग चुनौतियों का समाधान करने के लिए एआई विधियों का उपयोग किया है.

उन्होंने बताया कि 'किसान ई-मित्र' एक आवाज़-आधारित एआई-संचालित चैटबॉट है, जिसे पीएम किसान सम्मान निधि योजना, पीएम फसल बीमा योजना और किसान क्रेडिट कार्ड से संबंधित किसानों के प्रश्नों के उत्तर देने में सहायता के लिए विकसित किया गया है. यह समाधान 11 क्षेत्रीय भाषाओं को सपोर्ट करता है और अन्य सरकारी कार्यक्रमों में सहायता के लिए विकसित हो रहा है. वर्तमान में, यह प्रतिदिन 8000 से अधिक किसानों के प्रश्नों का उत्तर देता है. एआई-संचालित चैटबॉट से अब तक 93 लाख से अधिक प्रश्नों के उत्तर दिए जा चुके हैं.

कीट से बचाव के लिए AI का इस्तेमाल

मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले उत्पादन के नुकसान से निपटने के लिए राष्ट्रीय कीट निगरानी तकनीक, फसलों में कीटों के संक्रमण का पता लगाने के लिए एआई और मशीन लर्निंग का उपयोग करती है, जिससे स्वस्थ फसलों के लिए समय पर जानकारी संभव हो पाता है. यह उपकरण, जिसका उपयोग वर्तमान में 10,000 से अधिक विस्तार कार्यकर्ता कर रहे हैं, किसानों को कीटों के चित्र लेने में मदद करता है, जिससे उन्हें कीटों के हमलों को कम करने और फसलों के नुकसान को कम करने में मदद मिलती है. वर्तमान में, यह 66 फसलों और 432 से अधिक कीटों का पता लगाता है.

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