बिहार समेत देश के कई राज्यों में तापमान लगातार बढ़ रहा है. जो न सिर्फ इंसानों के लिए बल्कि पशुओं के लिए भी चिंता का कारण बन गया है. पशुओं से ज्यादा पशुपालकों के लिए चिंता का कारण है. अत्यधिक गर्मी के कारण पशुओं और विशेषकर दुधारू पशुओं में कई प्रकार की समस्याएं देखने को मिलती हैं. जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता कम होने लगती है. जिससे पशुपालकों को काफी नुकसान होता है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए आईएमडी ने बिहार के किसानों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है. जिसमें बिहार के किसानों को बताया गया है कि वे दुधारू पशुओं की देखभाल कैसे कर सकते हैं.
आने वाले दिन में आसमान में बादल छाए रहने के साथ ही हल्की बारिश होने की संभावना है. साथ ही लगातार तेज हवाएं भी चलेंगी. इसे देखते हुए किसान भाई रात के समय पशुओं को पेड़ों के नीचे न बांधें. तेज तूफानी हवाओं के कारण पेड़ों की शाखाएं आपस में टकराकर टूट सकती हैं. जिससे पशुओं की हानि की संभावना बढ़ सकती है. मौसम में बदलाव को ध्यान में रखते हुए पशुओं को संतुलित आहार के साथ-साथ खनिज लवण भी दें. इससे पशुओं के सेहत में गिरावट कि संभावना कम हो सकती है.
ये भी पढ़ें: UP: मवेशियों में बढ़ रही Heat Stroke की समस्या, पशुपालन विभाग ने किसानों के लिए जारी की एडवाइजरी
इसी के साथ मौसम विभाग ने बागवानी किसानों के लिए भी एडवाइजरी जारी है. जिसमें मौसम के बदलने से फसलों को क्या नुकसान हो सकता है और उसे कैसे बचाएं इसकी जानकारी दी गई है.
आम की फली में उकठा विकार या आंतरिक सड़न रोग की रोकथाम के लिए 0.8% बोरेक्स को 0.8 ग्राम लीटर पानी में घोल बनाकर 10 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें.
लीची के बगीचों में जरूरत के अनुसार नमी बनाए रखें. लीची में फल छेदक कीट की रोकथाम के लिए लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन के घोल का छिड़काव करें. 6 मिलीलीटर दवा प्रति 10 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें.
ये भी पढ़ें: राजस्थान में 20 मई तक लू से नहीं मिलेगी राहत, मौसम विभाग ने दिया बड़ा अपडेट
पशु और बागवानी कर रहे किसानों के अलावा आईएमडी ने धान और मक्के की खेती कर रहे किसानों के लिए भी एडवाइजरी जारी की है. जिसमें बुवाई से लेकर कब करें सिंचाई इसकी भी जानकारी किसानों को दी गई है.
आने वाले दिनों में आसमान में बादल छाए रहने और तेज हवाएं चलने की संभावना है. इसलिए जिन किसानों ने अभी तक मक्के की बुआई नहीं की है, वे जल्द से जल्द बुआई कर लें. प्रति एकड़ 6-8 किलोग्राम मक्का को 2 जीटीए कार्बेन्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज के साथ उपचारित करें और स्थानीय मौसम को ध्यान में रखते हुए बुआई करें. जिनकी फसलों को सिंचाई की आवश्यकता होती है, उन्हें मौसम के आधार पर सिंचाई करना बंद कर देना चाहिए और शुष्क मौसम के दौरान सिंचाई जारी रखनी चाहिए.
आने वाले दिनों में आसमान में बादल छाए रहने और तेज हवाएं चलने की संभावना है, किसानों से अनुरोध है कि जिन खेतों में खरीफ धान की बुआई होनी है, वहां हरी खाद के लिए सनई और ढैंचा की बुआई इस माह के मध्य तक कर लें.
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today