अगरु एक विशाल और सदा हरा-भरा रहने वाला पौधा है. अगरु को अगर भी कहा जाता है. इसकी लकड़ी से राल यानी गोंद की तरह का कोमल और सुगन्धित पदार्थ निकलता है.
अगर की लकड़ी को ‘वुड्स ऑफ द गॉड’ कहते हैं. इसे जलाने के बाद इसका जरा सा धुआं एक बंद कमरे को कम से कम चार-पांच घंटे तक सुगंधित रख सकता है.
अगर पेड़ से एक लंबी प्रक्रिया के बाद अगरवुड तैयार होता है. अगरवुड की लकड़ी में बैक्टीरिया, फंगस, कीड़े मकोड़े और चिट्टियों के लार से जब पेड़ का हिस्सा खराब होने लगता है. और पेड़ उस हिस्सा को अपने रस जख्मों को भरता है. लंबी प्रक्रिया के बाद पेड़ का भीतरी हिस्सा अगरवुड में बदल जाता है.
अगर से कई प्रोडक्ट्स भी बनाए जाते हैं. इससे अगरबत्ती और सुगंधित उबटन बनाए जाते हैं. जिसे शरीर पर मलने के काम आता है. इसके अलावा अगर का उपयोग बीमारियों के इलाज के लिए भी किया जाता है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसकी लकड़ी और तेल लाखों रुपये प्रति किलो तक बिकता है. अगर मूल रूप से एशिया महाद्वीप का वृक्ष है. यह भारत के साथ चीन, मलाया,लाओस,कम्बोडिया,सिंगापूर,मलक्का,भूटान,बांग्लादेश,म्यांमर आदि में पाया जाता है.
भारत में यह उतर भारत के पूर्वी हिमालय के आसपास के भागो त्रिपुरा, नागालैंड्, आसाम, मणिपूर और केरल में पाया जाता है. वहीं बिहार के लोग भी प्रयोग के आधार पर इस पेड़ को लगा रहे और पौधे को विकसित करने में सफल भी हो रहे हैं.
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