सहारनपुर का अनोखा ट्री हाउससहारनपुर के मिर्ज़ापुर गांव में अमन प्रताप सिंह नाम के एक किसान ने अपने खेत में एक बहुत ही खूबसूरत ट्रीहाउस बनाया है. यह ट्रीहाउस इतना अलग और आकर्षक है कि पूरे गांव में लोग इसे देखकर हैरान हैं. गांव वाले उन्हें प्यार से "ट्रीहाउस वाला आदमी" कहते हैं. अमन का सपना था कि वह अपने गांव में एक ऐसी जगह बनाएँ जहां लोग प्रकृति के बीच शांति महसूस कर सकें.
अमन ने अपने ट्रीहाउस को A-फ्रेम डिज़ाइन में बनाया है. इसका मतलब है कि इसकी छत ऊपर की तरफ त्रिकोण (तीरछी) जैसी है. यह डिज़ाइन देखकर लगता है जैसे कोई हिल स्टेशन या विदेशी रिज़ॉर्ट में हो. अमन कहते हैं कि जब आप इसके अंदर बैठते हैं तो आपको बहुत शांति और सुकून महसूस होता है. यह जगह मेडिटेशन के लिए भी बहुत अच्छी है.
अमन ने बताया कि उन्हें यह आइडिया विदेश यात्रा से मिला. उन्होंने मालदीव और अन्य देशों में समुद्र किनारे बने ट्रीहाउस में रहकर अनुभव किया. वहां रहकर उन्हें बहुत अच्छा लगा और उन्होंने सोचा कि क्यों न यह अनुभव अपने गांव में भी बनाया जाए. उन्होंने देखा कि दक्षिण भारत में भी कई लोग अपने ट्रीहाउस बनाते हैं और लोग उनमें बैठकर प्राकृतिक वातावरण का आनंद लेते हैं.
लगभग सात साल पहले, अमन ने अपने खेत में पॉपुलर के पेड़ लगाए. तीन साल पहले, उन्होंने गांव के कारीगरों की मदद से पेड़ों के बीच मज़बूत ढांचा तैयार किया. उन्होंने चार पेड़ों को ऊँचाई में काटकर एक समान स्तर पर रखा और उनके ऊपर गर्डर्स का इस्तेमाल कर A-फ्रेम बनवाया. यह ट्रीहाउस अभी पूरी तरह तैयार नहीं हुआ है, लेकिन इसे खासकर सर्दियों के लिए डिज़ाइन किया गया है.
अमन कहते हैं कि यह ट्रीहाउस सिर्फ़ रहने की जगह नहीं है, बल्कि यह प्रकृति से जुड़ने का एक तरीका है. जैसे पक्षी अपने घोंसले में रहते हैं और पेड़ों में छिपते हैं, वैसे ही इंसान भी प्राकृतिक वातावरण में रह सकते हैं. अमन का मानना है कि लोगों को अपने जीवन में प्रकृति के करीब रहना चाहिए ताकि मन को शांति और खुशी मिले.
अमन पहले कॉर्पोरेट जॉब करते थे, लेकिन COVID-19 के बाद उन्होंने शहर छोड़कर अपने गांव लौटने का फैसला किया. अब वे ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं और नेचुरल लाइफस्टाइल जी रहे हैं. उनका मानना है कि प्राकृतिक जीवन अपनाने से तन और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं.
अमन का ट्रीहाउस आज पूरे गांव में पहचान बन गया है. यह न केवल सुंदर है, बल्कि लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन गया है. बच्चे और बड़े इसे देखकर खुश होते हैं और अमन की मेहनत की तारीफ़ करते हैं. उनका यह प्रोजेक्ट यह दिखाता है कि अगर इंसान में सोच और मेहनत हो तो वह प्रकृति के साथ जुड़कर अद्भुत चीजें बना सकता है.
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