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जीवाणु खाद क्या है? इससे फसलों को क्या होता है लाभ, प्रयोग की सावधानियां क्या हैं?

जीवाणु खाद क्या है? इससे फसलों को क्या होता है लाभ, प्रयोग की सावधानियां क्या हैं?

जीवाणु खाद बनाने के लिए खासकर गोबर, घास, पत्तियां, खाद्य स्रोत आदि का उपयोग किया जाता है, और इसमें ये सामग्री उर्वरक बनाने के लिए काम करती हैं. यह प्रक्रिया गुणवत्ता और साफ-सफाई की धारणा को बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है. क्योंकि इसमें प्राकृतिक कचरे का उपयोग किया जाता है.

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जीवाणु खाद क्या है? जीवाणु खाद क्या है?

जीवाणु खाद एक प्रकार का उर्वरक होता है जो मिट्टी में पोषक तत्वों को प्रदान करने के लिए उपयोग किया जाता है, और यह खासकर जीवाणुओं द्वारा तैयार किया गया होता है. जीवाणु खाद में कई प्रकार के जीवाणुओं का समृद्ध संयोजन (rich combination) होता है, जो मिट्टी की सेहत और पौधों की सेहत को बढ़ाने में मदद करते हैं. जीवाणु खाद का उपयोग कृषि, उद्यानिकी, बागवानी, और पौधों के पालन-पोषण में किया जाता है. यह मिट्टी की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद करता है, पौधों को पोषक तत्वों की आवश्यकता प्रदान करता है. जिससे सूखे, बीमारी, और कीटों से बचाव करने में सहायक होता है.

जीवाणु खाद बनाने के लिए खासकर गोबर, घास, पत्तियां, खाद्य स्रोत आदि का उपयोग किया जाता है, और इसमें ये सामग्री उर्वरक बनाने के लिए काम करती हैं. यह प्रक्रिया गुणवत्ता और साफ-सफाई की धारणा को बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है. क्योंकि इसमें प्राकृतिक कचरे का उपयोग किया जाता है.

क्या हैं जैव उर्वरक के लाभ

  • जैव उर्वरक से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है.
  • इनके प्रयोग से पौधों का अंकुरण शीघ्र होता है और पौधे में सखाओं की संख्या बढ़ जाती है.
  • यह लगभग 15 से 25 प्रतिशत रासायनिक उर्वरकों, विशेषकर नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी को पूरा करता है.
  • मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ ह्यूमस की वृद्धि से मिट्टी की भौतिक और रासायनिक स्थिति में सुधार होता है.
  • इनके प्रयोग से फसलों का उत्पादन 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.
  • जैव उर्वरक से तिलहनी फसलों का तेल उत्पादन भी बढ़ता है.
  • मिट्टी की क्षारीय स्थिति में भी सुधार देखा जा रहा है.

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इन बातों का रखें ध्यान

जैव उर्वरक खरीदते समय उर्वरक का नाम, उपयोग की जाने वाली फसल और अंतिम तिथि अवश्य देख लें.
जैव उर्वरक को हमेशा छायादार जगहों पर रखें.
समाप्ति समय के बाद जैव उर्वरक का प्रयोग बिल्कुल न करें.
जैव उर्वरक का चयन फसल के अनुसार करना चाहिए, नहीं तो उत्पादन प्रभावित हो सकता है.
उर्वरक का प्रयोग फसल और कंपनी के मापदण्डों के अनुरूप उचित मात्रा में करें.