खेती करना किसानों के लिए कड़ी मेहनत का काम है. फसलों की बुआई से लेकर कटाई तक हर रोज किसानों को खेतों का ध्यान रखना होता है. ऐसे में अभी रबी की प्रमुख फसल गेहूं की फसलों में भी खरपतवार देखी जा रही है. ये खरपतवार बड़े गेहूं किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं. क्योंकि ये खरपतवार और घास फसल की वृद्धि और उत्पादन पर नकारात्मक असर डालते हैं. यदि समय रहते इन खरपतवारों पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो इससे गेहूं की उपज में कमी हो सकती है. इन्हीं समस्याओं को देखते हुए बिहार कृषि विभाग ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी करते हुए बताया कि गेहूं की फसल में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें.
बता दें कि इस समय बिहार के कई जिलों में गेहूं की फसलों में सतनाशी, कृष्ण नील, वन गेहूं और पार्थेनियम जैसे कई खतरनाक देखे जा रहे हैं. इन खरपतवार से गेहूं की फसल पर असर भी दिखने लगा है. ऐसे में अगर समय रहते इन खरपतवारों को नष्ट नहीं किया गया तो गेहूं की उपज में 30 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है. साथ ही गेहूं की क्वालिटी में भी कमी आ सकती है.
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गेहूं की फसल में जंगली जई, आरी घास आदि सकरी पत्ती वाली खरपतवार को नष्ट करने के लिए किसान सल्फोराल्पयूरॉन 75 प्रतिशत डब्लूजी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा सरफेक्टेन्ट का 13.5 ग्राम 6 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ बुआई के 30-35 दिनों के बाद छिड़काव करना चाहिए या क्लोडिनाफॉप प्रोपरजिल 15 प्रतिशत डब्लू०पी० का 160 ग्राम प्रति एकड़ निर्धारित पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.
इसके अलावा गेहूं की फसल में बथुआ, प्याजी, तीन पत्तियां, कृष्णनील आदि चौड़ी पत्ती वाली खरपतवार को नष्ट करने के लिए भेट सल्फ्युरान मिथाइल 20 प्रतिशत डब्लू०पी० का इस्तेमाल करना चाहिए. इसका 8 ग्राम 6 लीटर पानी में घोलकर फिर उसे 120-200 लीटर पानी में मिलाकर बुआई के 40 से 45 दिनों के बाद प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए.
गेहूं के लिए सल्फोसल्पयूरॉन मिथाइल 75 प्रतिशत और मेट सल्फ्युरान मिथाइल 5 प्रतिशत खरपतवारनाशी चौड़ी पत्ती वाली खरपतवार को नष्ट करने में मदद करता है. इसका 16 ग्राम मात्रा में 500 मिली के सरफेक्टेन्ट को घोलकर प्रति एकड़ निर्धारित पानी के घोल में मिलाकर छिड़काव करनी चाहिए. इसके अलावा 2,4-डी ईवाइल ईस्टर 38 प्रतिशत चौड़ी पत्ती वाली खरपतवार को खत्म करता है.
कृषि विभाग की एडवाइजरी में बताया गया है कि इन खरपतवारनाशी का इस्तेमाल तब करना चाहिए जब मौसम बिल्कुल साफ हो. यानी अभी इसके छिड़काव के लिए बिल्कुल सही समय है. साथ ही ये बताया गया है कि इन दवाओं का छिड़काव यंत्र में कट नोजल /फ्लड जेट नोजल /फ्लैट फैन नोजल यंत्र से करना चाहिए. छिड़काव के बाद ये ध्यान रखना चाहिए कि उस दिन उस खेत में इंसान या पशु न जाएं. इसके अलावा तेज हवा की विपरीत दिशा में छिड़काव नहीं करना चाहिए और छिड़काव के समय आंख, मुंह, हाथ और नाक की सुरक्षा के लिए सुरक्षात्मक फेस मास्क और पैर में जूते का प्रयोग अवश्य करना चाहिए.
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