कृषि विभाग ने देश के किसानों के लिए फसल एडवाइजरी जारी की है. इसमें अलग-अलग फसलों के हिसाब से बताया गया है कि किसान इस मौसम में फसल में क्या करें. इसमें बताया गया है कि किसान किस फसल में कौन सी दवा का प्रयोग करें. ऐसे में कृषि विभाग के अनुसार इस समय किसान तैयार किए गए खेतों में प्याज की रोपाई कर सकते हैं. रोपाई वाले पौधे छह सप्ताह से ज्यादा के नहीं होने चाहिए. पौधों की छोटी क्यारियों में रोपाई करें. रोपाई से 10-15 दिन पहले खेत में 20-25 टन सड़ी गोबर की खाद डालें.
इसके अलावा 20 किलो नाईट्रोजन, 60-70 किलो फ़ॉस्फोरस और 80-100 किलो पोटाश आखिरी जुताई में डालें. पौधों की रोपाई अधिक गहराई में ना करें और कतार से कतार की दूरी 15 से.मी और पौधे से पौधे की दूरी 10 से.मी रखें.
गोभी वर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक और टमाटर में फल छेदक की निगरानी के लिए फेरोमोन ट्रैप (प्रपंच) @ 3-4 प्रपंच प्रति एकड़ खेतों में लगाएं. यह मौसम गाजर का बीज बनाने के लिए उपयुक्त है. ऐसे में जिन किसानों ने फसल के लिए उन्नत किस्मों की उच्च क्वालिटी वाले बीज का प्रयोग किया है और फसल 90-105 दिन की होने वाली है, वे जनवरी महीने के दूसरे पखवाड़े में खुदाई करते समय अच्छी, लंबी गाजर का चुनाव करें, जिनमें पत्ते कम हों. इन गाजर के पत्तों को 4 इंच का छोड़ कर उपर से काट दें. गाजरों का भी उपरी 4 इंच हिस्सा रखकर बाकी को काट दें. अब इन बीज वाले गाजरों को 45 से.मी की दूरी पर कतारों में 6 इंच के अंतराल पर लगाकर पानी लगाएं.
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मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि सरसों की फसल में चेंपा कीट की निरंतर निगरानी करते रहें. चेंपा कीट की शुरुआती अवस्था में प्रभावित भाग को काट कर नष्ट कर दें. इसके अलावा चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी के लिए फेरोमोन प्रपंच @ 3-4 प्रपंच प्रति एकड़ खेतों में लगाएं, जहां पौधों में 10-15 फीसदी फूल खिल गए हों. साथ ही कद्दूवर्गीय सब्जियों की अगेती फसल की पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पॉलीथिन के थैलों में भरकर पॉलीहाउस में रखें.
इस मौसम में तैयार बंदगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी आदि की रोपाई मेड़ों पर कर सकते हैं. इसके अलावा इस मौसम में पालक, धनिया, मेथी की बुवाई कर सकते हैं. वहीं, पत्तों के बढ़वार के लिए 20 किलो यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं.
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