प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देगी नैनो यूरिया, उत्पादन में भी नहीं आएगी कोई कमी: अमित शाह

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देगी नैनो यूरिया, उत्पादन में भी नहीं आएगी कोई कमी: अमित शाह

शाह ने कहा, "अगर आप तीन साल (ऐसी खेती के लिए मिट्टी तैयार करने के लिए जरूरी अवधि) तक उत्पादन कम किए बिना प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना चाहते हैं, तो नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का उपयोग करें." उन्होंने कहा, नैनो यूरिया जमीन में नहीं समाता है, और इसलिए यह केंचुओं को नुकसान नहीं पहुंचाता है, जो प्राकृतिक खेती का का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

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प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देगी नैनो यूरिया, उत्पादन में भी नहीं आएगी कोई कमी: अमित शाहनैनो डीएपी प्लांट के उद्घाटन मौके पर गांधीनगर में अमित शाह

केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि इफको द्वारा पेश नैनो यूरिया और नैनो डीएपी किसानों को उत्पादन से समझौता किए बिना प्राकृतिक खेती अपनाने में मदद करेगा. वे गांधीनगर जिले के कलोल में भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO) यूनिट में नैनो डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट लिक्विड) मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे. बाद में इफको ने एक बयान में कहा कि यह दुनिया का पहला ऐसा प्लांट है.

कार्यक्रम में अमित शाह ने कहा, "आज से दस साल बाद जब कृषि के क्षेत्र में सबसे बड़े प्रयोगों की सूची तैयार की जाएगी, तो मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि इफको के नैनो यूरिया और नैनो डीएपी को इसमें जगह मिलेगी." केंद्रीय मंत्री ने कहा कि समय की मांग है कि यूरिया का उपयोग कम किया जाए और प्राकृतिक खेती की ओर कदम बढ़ाया जाए.

क्या कहा अमित शाह ने

अमित शाह ने कहा, "अगर आप तीन साल (ऐसी खेती के लिए मिट्टी तैयार करने के लिए जरूरी अवधि) तक उत्पादन कम किए बिना प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना चाहते हैं, तो नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का उपयोग करें." उन्होंने कहा, नैनो यूरिया जमीन में नहीं समाता है, और इसलिए यह केंचुओं को नुकसान नहीं पहुंचाता है, जो प्राकृतिक खेती का का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा, किसान कुछ वर्षों तक नैनो यूरिया के साथ प्रयोग जारी रख सकते हैं, जब तक कि जमीन तैयार न हो जाए और प्राकृतिक खेती के लिए वह प्रमाणित न हो जाए. मंत्री ने किसानों से दानेदार यूरिया और डीएपी के बजाय इन उर्वरकों के अधिक रिजल्ट देने वाले लिक्विड फर्टिलाइजर को अपनाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि दानेदार यूरिया का उपयोग न केवल फसलों को बल्कि लोगों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने वर्षों तक किसानों और खेती दोनों की अनदेखी की.

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खादों पर बढ़ी सब्सिडी

"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह सुनिश्चित किया कि जब COVID-19 महामारी के बाद उर्वरक की लागत में वृद्धि हुई, तो इसका बोझ किसानों पर नहीं डाला गया. इसका नतीजा यह हुआ कि उर्वरक पर सब्सिडी 2013-14 में 73,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2.55 लाख करोड़ रुपये हो गई, जिसका भुगतान सरकार द्वारा किया गया.” उन्होंने कहा. इस अवसर पर केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया, इफको के अध्यक्ष दिलीप संघानी और इसके सीईओ और एमडी उदय शंकर अवस्थी भी उपस्थित थे.

इफको ने अपने बयान में कहा कि यह अपनी तरह का पहला प्लांट है जो पारंपरिक डीएपी के एक बैग के बराबर 500 मिलीलीटर इफको नैनो डीएपी (लिक्विड) बोतलों का उत्पादन करेगा. इसमें कहा गया है कि प्लांट की क्षमता प्रतिदिन दो लाख बोतलें बनाने की होगी. इसमें कहा गया है, प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाली परियोजना इफको नैनो डीएपी (लिक्विड) की शुरूआत, "भारत के कृषि उद्योग को मौलिक रूप से बदल देगी, किसानों में समृद्धि लाएगी और उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी."

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करोड़ों बोतल खाद तैयार

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