नैनो यूरिया पर संसद में सवाल-जवाबनैनो यूरिया के उपयोग को लेकर देश में चल रही बहस के बीच राजस्थान के नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने केंद्र सरकार पर बड़ा निशाना साधा है. बेनीवाल ने दावा किया कि किसानों से मिली शिकायतों के अनुसार नैनो यूरिया फसलों की उपज और क्वालिटी पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है, जबकि बाजार में खाद-बीज की दुकानों द्वारा किसानों पर इसे जबरदस्ती थोपने की भी घटनाएं सामने आ रही हैं. उन्होंने इस मुद्दे को संसद में भी उठाया और सरकार से स्पष्ट जवाब की मांग की.
अपने पोस्ट और बयान में बेनीवाल ने कहा कि कई किसानों ने उन्हें बताया है कि नैनो यूरिया के उपयोग से फसल की उपज कम हुई है और क्वालिटी पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि यह मामला केवल किसानों तक सीमित नहीं है बल्कि देश के प्रमुख कृषि संस्थान भी इस पर शोध कर चुके हैं और कुछ नतीजे चिंता बढ़ाने वाले हैं.
बेनीवाल ने कहा कि वे जल्द ही केंद्रीय कृषि मंत्री से मुलाकात कर मामले में गहन अध्ययन की मांग करेंगे ताकि नैनो यूरिया के वास्तविक प्रभावों की निष्पक्ष जांच हो सके.
लोकसभा में पूछे गए अपने सवालों में, बेनीवाल ने सरकार से पूछा कि क्या पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) या किसी अन्य वैज्ञानिक संस्थान ने नैनो यूरिया के उपयोग से उपज और क्वालिटी पर नकारात्मक असर पाए हैं? उन्होंने विशेष रूप से यह भी पूछा कि क्या शोध में चावल और गेहूं में प्रोटीन की मात्रा क्रमशः 35% और 24% तक कम होने के निष्कर्ष सामने आए हैं?
इसके अलावा उन्होंने पूछा कि क्या सरकार इन नकारात्मक परिणामों को देखते हुए नीतिगत सुधार लाने पर विचार कर रही है.
कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने संसद में दिए जवाब में स्वीकार किया कि विभिन्न संस्थानों द्वारा किए गए शोधों में नैनो यूरिया के मिले जुले परिणाम सामने आए हैं.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के मृदा विज्ञान विभाग द्वारा किए गए दो वर्षीय फील्ड परीक्षण में यह पाया गया कि 50% RDN + नैनो यूरिया (दो छिड़काव) की स्थिति में-
हालांकि, कुछ अन्य स्थानों—
पर किए गए परीक्षणों में यह पाया गया कि 25% RDN + नैनो यूरिया (दो छिड़काव) से उपज में 5–15% तक वृद्धि दर्ज की गई.
सरकार ने यह भी माना कि चावल-गेहूं रोटेशन वाले सिस्टम में-
तक कम पाए गए, जब 50% RDN के साथ नैनो यूरिया का उपयोग किया गया.
इसके साथ ही, नाइट्रोजन एसिमिलेशन से जुड़े एन्जाइम-
राज्यमंत्री चौधरी ने लोकसभा को बताया कि नैनो यूरिया के प्रभाव को बेहतर समझने और शोध में सामने आई बातों की गहन समीक्षा के लिए सरकार ने एक बड़ी परियोजना शुरू की है. इस परियोजना का उद्देश्य नैनो यूरिया के वास्तविक प्रभावों पर वैज्ञानिक आधार पर निष्कर्ष निकालना है.
नैनो यूरिया को देश में पारंपरिक यूरिया का पर्यावरण–अनुकूल और अधिक प्रभावी विकल्प बताया गया था. दावा था कि एक बोतल नैनो यूरिया एक बोरी यूरिया के बराबर काम करता है. लेकिन किसानों के लगातार अनुभव और कुछ शोध रिपोर्टों में उपज और क्वालिटी में गिरावट जैसी बातों से अब इस पर सवाल उठने लगे हैं.
सांसद बेनीवाल द्वारा संसद में यह मामला उठाने के बाद नैनो यूरिया की विश्वसनीयता और सुरक्षा पर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा तेज हो गई है.
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