गेंदा भारतीय फूलों में अत्यंत लोकप्रिय है. गेंदे के फूलों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इसे लोग धार्मिक अनुष्ठानों के अलावा कई प्रोडक्ट बनाने और सजावट में भी इस्तेमाल करते हैं. इसे पूरे साल उगाया जाता है. गेंदे की खेती पूरे साल बहुत ही आसानी से की जाती है और मंडियों में पूरे वर्ष इसकी मांग बनी रहती है. किसान इसकी खेती करके बंपर कमाई भी करते हैं. लेकिन कई बार गेंदे के फूल बड़े और चमकदार नहीं हो पाते हैं, जिससे उन फूलों की डिमांड कम हो जाती है.
ऐसे में अगर आपको गेंदे के बड़े और चमकदार फूल चाहिए तो आप अपने खेतों और बगीचों में 4 जरूरी खादों को अभी डाल सकते हैं. इसके अलावा ये भी जान लें कि इन खादों को फसलों में कितनी मात्रा में डालना है.
गेंदे के फूल को बड़ा और चमकदार करने के लिए किसान अपने खेतों और बगीचों में कपोस्ट, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश को डाल सकते हैं. इन खादों को पौधे में डालने से पौधों की क्वालिटी काफी अच्छी हो जाती है. अब बात करें खाद की मात्रा की तो खेतों में 20-25 टन कंपोस्ट, 150 किलो नाइट्रोजन, 100 किलो फास्फोरस और इतना ही पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए. कंपोस्ट, फास्फोरस, पोटाश की पूरी मात्रा नाइट्रोजन की आधी मात्रा खेत की तैयारी करते समय डाल देना चाहिए, जबकि नाइट्रोजन की आधी मात्रा पौधे लगाने के एक माह बाद देना चाहिए.
ये भी पढ़ें:- आलू को पाले से बचाएगी चूल्हे की राख, पत्तों पर गंधक का भी कर सकते हैं छिड़काव
गेंदे की खेती में सिंचाई किस्म और मौसम पर निर्भर करती है, गर्मियों में 4-5 दिन के अंतर पर और सर्दियों में 7-10 दिन के अंतर पर हल्की सिंचाई करना लाभदायक रहता है. सिंचाई के अलावा गेंदे के पौधों में कम से कम दो बार निराई-गुड़ाई करना जरूरी होता है. पहला गुड़ाई पौधों रोपने के 20-25 दिन बाद और दूसरी गुड़ाई 40-45 दिन बाद करनी चाहिए. इसके अलावा समय-समय पर खरपतवार नियंत्रण करना चाहिए. साथ ही खेत में पौधे लगाने के 30 दिन बाद ऊपर वाले भाग को नोचना चाहिए जिससे सहायक पौधों की वृद्धि अधिक हो सके.
गेंदा मुख्य रूप से ठंडी जलवायु वाली फसल है. ठंड के मौसम में गेंदे की वृद्धि और फूलों की क्वालिटी अच्छी होती है. जलवायु परिस्थितियों के आधार पर गेंदे की खेती मॉनसून, सर्दी और गर्मी तीनों मौसमों में की जाती है. फरवरी के पहले सप्ताह के बाद और जुलाई के पहले सप्ताह से पहले गेंदा लगाने से उपज और फूलों की क्वालिटी पर अच्छा प्रभाव पड़ता है. इसलिए जुलाई के पहले सप्ताह से 15 दिनों के अंतराल पर बुवाई करने पर अक्टूबर से अप्रैल तक अच्छी उपज प्राप्त होती है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today