खाद की बोरी पर लिखे N-P-K के तीन नंबर क्या होते हैं और क्यों जरूरी हैं?

खाद की बोरी पर लिखे N-P-K के तीन नंबर क्या होते हैं और क्यों जरूरी हैं?

पौधों की अच्छी सेहत और तंदुरुस्ती के लिए पोषक तत्वों की जरूरत होती है. उससे भी अधिक जरूरी है कि उन पोषक तत्वों की मात्रा कितनी रखी जा रही है. अगर मात्रा में ऊंच-नीच हो, असमानता हो तो फसल अच्छी होने की जगह खराब हो जाएगी.

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खाद की बोरी पर लिखे N-P-K के तीन नंबर क्या होते हैं और क्यों जरूरी हैं?टमाटर की खेती

जब भी किसान बाजार से खाद खरीदने जाते हैं, तो खाद की बोरी पर अक्सर तीन नंबर लिखे होते हैं, जैसे 10-10-10 या 19-19-19. ये नंबर पौधों के लिए सबसे जरूरी तीन पोषक तत्वों — नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), और पोटाश (K) — की मात्रा दर्शाते हैं. इन्हें मिलाकर N-P-K अनुपात कहते हैं, जो फसल के विकास और उपज में अहम भूमिका निभाते हैं. इसमें किसी भी एक पोषक तत्व की कमी हो जाए तो फसल की उपज पर विपरीत असर पड़ता है.

N-P-K का मतलब:

N – नाइट्रोजन (Nitrogen):

पौधों की पत्तियों और हरी टहनियों को बढ़ावा देता है. यह पौधे को हरा-भरा और घना बनाता है. इससे पौधों को बढ़वार मिलती है.

P – फॉस्फोरस (Phosphorus):

फूल और फल लगाने में मदद करता है. जड़ों, फूलों और फलों के विकास के लिए जरूरी है. इसकी कमी से पौधे बौने या ठूंठ रह सकते हैं.

K – पोटाश (Potassium):

पौधे की ताकत और रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है. जड़ों को मजबूत करता है और पौधे को सूखे, ठंड और बीमारियों से बचाता है. इसकी कमी से पौधे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं और मर जाते हैं.

टमाटर की खेती में N-P-K का महत्व:

नाइट्रोजन (N):

पौधे के शुरुआती चरण में पत्तियां और टहनियां अच्छी तरह बढ़ाने के लिए नाइट्रोजन युक्त खाद जैसे यूरिया जरूरी है.

फॉस्फोरस (P):

फूल आने के समय फॉस्फोरस युक्त खाद (DAP या सिंगल सुपर फॉस्फेट) देने से अधिक और बेहतर फल लगते हैं.

पोटाश (K):

फल के विकास और पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पोटाश युक्त खाद (MOP या पोटेशियम सल्फेट) उपयोगी है.

किसान इसे कैसे अपनाएं?

  1. पौधे के विकास के हर स्टेज में सही समय पर सही प्रकार की खाद दें.
  2. यदि पौधे की पत्तियां पीली हो रही हों तो नाइट्रोजन की कमी समझें.
  3. फूल कम आ रहे हों तो फॉस्फोरस की जरूरत होती है.
  4. पौधा कमजोर या बीमार लग रहा हो तो पोटाश की कमी हो सकती है.

विशेषज्ञ सलाह:

किसानों को सलाह दी जाती है कि वे N-P-K के सही अनुपात को समझकर ही खाद का प्रयोग करें ताकि फसल स्वस्थ और उपज ज्यादा हो. अधिक या कम खाद डालना दोनों ही नुकसानदेह हो सकते हैं. किसान अक्सर ऐसी गलती करते हैं और जरूरी मात्रा में खाद नहीं डालते हैं. इससे फसल अच्छी होने के बजाय खराब होती है, उपज का नुकसान होता है.

किसान अगर केमिकल खाद से बचना चाहते हैं और प्राकृतिक खेती करना चाहते हैं तो वे जैविक खाद का भी प्रयोग कर सकते हैं. जैविक खाद के प्रयोग से भी किसानों को अधिक उपज मिल सकती है. 

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